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Sad shayari collection |
हाथों के छाले बयां करते हैं मेरे फसाने को
मुझसे रुठी मेरी तकदीर नहीं रूठा तो ख़ुदा हैं
मगर अब रह ही क्या गया है उसे मनाने को ।।
कुछ इस कदर आबाद हुआ में कि
जिन्दगी के सारे गम पा लिए
अब क्या रह ही गया है पाने को।।
सारी खुशियां अपनों पर ही लुटाई
अब रह ही क्या गया है लुटाने को ।।
2 Comments
Nice
ReplyDeleteThanks
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