ना हर खुशी मेरी कुरवान होंगी,
ना हर आरजू मेरी गुमनाम होंगी ।
मेरी चाहत को ठुकराने वाले सुन ,
ना अब तेरी चाहत में मेरी जिंदगी बदनाम होंगी।।
अब लाख मनाले दुनिया मुझको ,
मगर अब ना किसी से दुआ सलाम होंगी ।।
ऐ कहानी वरुण की है जो एक गरीब परिवार से है और वह गांव में रहता है ,वरूण एक लडकी से प्यार करता है उस लड़की का नाम सिया है । दोनों साथ साथ एक ही कॉलेज में पड़ते हैं । यहां वरूण की मुलाकात सिया से होती है , और वरूण पहली मुलाकात में ही सिया को अपना दिल दे बैठता है । मगर सिया को इस बात का अहसास भी नहीं होता है ।
कहते है कि ख़ुदा का दूसरा नाम मुहब्बत है और उसने अपने हर बंदे को इस खूबसूरत अहसास से नवाजा है । कहने का तात्पर्य यह है कि मुहब्बत पर किसी का पाबंद नहीं है कोई भी किसी से मुहब्बत साथ कर सकता है । मगर उस अल्ला के बंदे का नजरिया साफ व दिल नेक हो और सोच गंगा जल की तरह पवित्र हो ।
कुछ ऐसी ही वरुण और सिया की कहानी है ,वरुण सिया कि चाहत में इतना दीवाना हो गया था कि वो खुद से भी ज्यादा सिया को चाहने लगा था ।लेकिन दुर्भाग्य की बात तो ऐ थी कि सिया वरुण को अपना कुछ नहीं समझती थी । वरुण ने सिया को पाने के लिए अपना सब कुछ खो दिया ।
वह चाहता था की ऐ जिंदगी उसके प्यार में गुजारू, मगर उसे सिया का प्यार कहां नसीब हुआ । प्यार तो सिर्फ नसीबो का खेल था ।
सावन की रिमझिम बारिशों का महीना चल रहा था, तभी वरूण ने सिया को अपना बनाने की कोशिश से अपने प्यार का इजहार किया ।
मगर हुआ क्या अपनी जिंदगी से भी ज्यादा चाहने वाले ने वरूण को इस कदर ठुकराया कि दिल के सारे अरमान एक पल में जलकर खाख़ हो गए, मानो उस वक्त ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे कोई आईना टूट कर चकनाचूर हो गया हो । आखिर क्या वजह थी जिस के रहते सिया ने वरूण को ठुकरा दिया । मगर कुछ ही वर्षों बाद सिया ने खुद वरूण को अपनाया । तो आइए हम पता करते है वरूण की प्रेम कहानी के बारे में...
ये बात तकरीबन 2012 की है जब वरूण इंटरमीडिएट की पड़ाई के लिए गांव से बाहर शहर जाता हैं ,
कॉलेज का पहला दिन
वरुण - मां जल्दी से मेरा टिफिन पैक कर दो बस के आने का समय हो गया । वरना आज फिर बस चूक जाएगी ।
मां - हा हा टिफिन ही लगा रही हूं पहले तुम तैयार तो हो जाओ ।
(वरूण तैयार होता है और टिफिन को अपने बैग में रखता है )
वरूण - मां में कॉलेज जा रहा हूं ।
मां - ठीक है अच्छी तरह से जाना सरारत मत करना और हा अपना ख्याल रखना ।
वरूण - ठीक है मां ।
वरूण बस स्टेंड पहुंचता है और वहां से बस पकड़ता है । कुछ ही घंटो में वरूण अपने कॉलेज पहुंच जाता हैं ।
प्रार्थना व राष्ट्रगान के उपरांत वरूण अपनी कक्षा की ओर जाता हैं ।
वरूण कुछ अपने आप में सहमा सा रहता है , नया शहर नया कॉलेज और नए नए चेहरे, वरूण के मन को थोड़ी घबराहट सी प्रतीत होती हैं । मगर वरूण अपने आप को संभाल लेता है । और कक्षा में प्रवेश करता है ।
तभी अचानक वरूण एक लड़की से टकरा जाता हैं ।
वरूण - माफ़ करना मैने आपको देख नहीं पाया गलती से टकरा गया ।
लड़की - हा ठीक है आइंदा से देख कर चलो ।
वरूण - जी ( दवि हुई आबाज में उत्तर देता हैं )
वरूण कक्षा में अपनी जगह पर जाकर बैठ जाता है ।
कुछ समय बाद वह लड़की भी उसी कक्षा में आ जाती और वरुण से एक सीट आगे बैठ जाती है ।
तभी एक अध्यापिका आती है और सब की उपस्थिति दर्ज करती हैं । और चली जाती हैं ।
उपस्थिति दर्ज करने के दौरान वरुण को उसका नाम भी मालूम चल जाता है । मगर उस समय वरुण उसे अनदेखा कर देता ।
कॉलेज आने जाने का सिलसिला चलता रहता है और पढ़ाई की प्रतियोगिता में कोई एक दूसरे से कम नहीं । मगर वरुण अंग्रेजी में थोड़ा कमजोर है और सिया अंग्रेजी में होशियार है । यह अदा सिया की वरुण को अपनी ओर खींचती है । उसके अंग्रेजी पड़ने का अंदाज उसे बहुत पसंद आता है ।
वरुण को पता भी नही चलता है और वो अपना दिल सिया को दे बैठता है ।
मगर वरुण उससे बात करने में भी हिचकता है । तो उससे अपने प्यार का इजहार करना तो बहुत दूर की बात है ।
वरुण सही समय का इंतजार कर रहा है , मानो यह वक्त उसका ऐसे गुजर था जैसे वो उसके इम्तिहान का वक्त हो । परीक्षा नजदीक आ जाती है सब विद्यार्थी पड़ने में गहनता के साथ जुट जाते है , मगर वरुण अपना आपा खो बैठता है । हर वक्त उसे ही निहारता रहता है । एक दिन वरुण का मित्र उसे समझता है.
राघव ( वरुण का मित्र ) — वरुण तूने ये क्या पागलपन लगा रखा है , तूझे उसके अलावा कुछ और सूझता है या नहीं , सिर पर परीक्षा है । और तू
कुछ अधिक नहीं अपने आप को और अपने परिवार को धोखा दे रहा है । जब तू जनता है की वो लड़की तुझे पसंद नही करती तो क्यों उसके पीछे पड़ा है । तू मेरा एक काम करदे कक्षा में सबसे अधिक अंक लाकर दिखा दे । जो आज तुझे देखना भी पसंद नहीं करती वो कल तेरे बारे में दिन व रात सोचेगी । कि जो मुझे कर दिखाना था वो कोई और कर गया, शायद वो तेरे लिए अच्छा मौका होगा की तू अपने मन की बात उससे कह सके । मुझे विश्वास है वो मना नहीं कर पायेगी ।
राघव की बात सुनकर वरुण अपने आप कुछ ऐसा प्रतीत करता है जैसे कोई मेरे अंदर वर्षो से सो रहा है वो आज जाग उठा है ।
राघव की बातें वरुण के दिल को भेद कर रख देती है । उस वक्त के बाद वरुण अपना ध्यान पढ़ने में लगाता है , मगर दुर्भाग्य उसका की वो कक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त करता है । एक खुद से जीतने की खुशी थी मगर दूजी किसी से हारने का दुख । वरुण सोच के समुंदर में डूबता ही जा रहा है ।
पहले तो दोस्तो के साथ बहुत वक्त बीत जाया करता था मगर अब वक्त बीतने का नाम ही नहीं लेता ।
वरुण कुछ समय (वर्ष) रुकता है , और फिर सिया से अपने मन की बात बोल ही देता है ।
मगर सिया वरुण को बहुत बुरी तरह बेइज्जत करती है
सिया— तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसा कहने की क्या तुम्हे में कोई ऐसी वैसी लड़की लगती हूं (चिल्लाकर) ।
वरुण के होश उड़ जाते पाऊं तले जमीन खिसक जाती ।
वरुण नही समझ पाता है की इस मासूम चेहरे के पीछे एक कला चेहरा भी छिपा है ।
सिया — तुम्हारी औकात क्या है , अगर मेरा भाई तुम्हारी बहिन से ऐसा कहे तब उस वक्त तुम्हे कैसा लगेगा ।
वरुण चुपचाप सुनता रहता है , एक तो खुद ही अपने आप में शर्मिंदगी महसूस कर रहा है और क्रोध की अग्नि में भी जला जा रहा है ।
सिया रोने लगती है वरुण समझ नही पाता आखिर उसने ऐसा क्या गुनाह कर दिया , सिर्फ दिल की बात ही तो कहने आया था ।
वरुण वहा से चला जाता है , मगर उसके दिल में जितनी बहिन वाली बात तकलीफ नहीं दे रही , उससे कई अधिक गुना औकात वाली बात तकलीफ दे रही थी ।
कॉलेज करने के बाद वरुण पढ़ना छोड़ देता है , और घर की स्थिति को देख कर शहर काम करने निकल जाता हैं ।
वरुण शहर में कुछ वर्ष काम करता है , मगर वरुण अपने परिवार की स्थिति सुधार नहीं पाता । इन वर्षो के दौरान वरुण कितना और अधिक टूटा इसका अनुमान तो एक शीशे को पत्थर पर गिरा कर ही लगा सकते है ।
दोस्ती करके जिसने चाहा उसने लूटा । वरुण टूटता ही गया । और आखिर में उसके समक्ष मात्र तीन विकल्प ही शेष बचे थे शराब , शायरी व स्वर्ग ।
घर परिवार सिया दोस्त मित्र जिंदगी और सपने वरुण को मानो ऐसे प्रतीत हो रहे थे जैसे ठहरे पानी के समक्ष जाने पर सब कुछ ठीक ठीक दिखता है , मगर कोई उसी पानी में हलचल पैदा कर दे तो सब धुंधले नजर आने लगते है जैसे कुछ ही क्षण भी समाप्त हो जायेंगे ।
वरुण ने अपने आत्मबल व मनोबल से काम लिया और शराब व स्वर्ग के बीच की कड़ी शायरी को चुना ।
फिर वरुण ने एक नई जिंदगी की शुरुवात कि और अपने दर्द को कलम में भरकर पन्नो पर छाप दिया ।
और उस दर्द ने वरुण को शायर बना दिया ।
देखते ही देखते वरुण की लिखी गजलें , शायरी , कविताएं , व गीत प्रसिद्ध होने लगे । वरुण में धीरे धीरे हर्ष व उल्लास का संचार होने लगा ।
वरुण के गीतों को स्टूडियो वाले खरीदने लगे और अपने एलबम के लिए वरुण से गीत लिखवाने भी लगे ।
वरुण के गीतों को नई आवाज मिलने लगी । वरुण के लिखे अधिकांश गीत तो सिया ने ही गाए थे , मगर वरुण इस बात से अनजान था ।
जब वरुण अपनी जिंदगी से लड़ रहा था तब सिया गायक बनने की तैयारी में जुटी थी ,सिया की आवाज में वास्तव में वो मधुरता व सुगंध थी कि कोई भी व्यक्ति उसकी ओर खींचा चला आए । जब वरुण को पहली बार सिया से प्यार हुआ था तब उसकी जिम्मेवार सिया की आबाज़ ही थी ।
लेकिन अब वरुण सब कुछ भूल चुका था दस बारह वर्ष बीत चुके थे ।
मगर वरुण आज भी अकेला ही था । वरुण में एक बात हमेशा देखने को मिलेगी की इतना बड़ा आदमी बनने के बाद भी एक दम सादा जीवन व्यतीत कर रहा है ।
सुबह सुबह की बात है जब वरुण घर के बाहर टहलने के लिए निकला था ,
वह एक चाय की दुकान पर रुक गया और चाय पीने लगा ।
तभी अचानक उसको अपने लिखे गीत की कुछ कड़िया सुनाई दी और उसने मुड़ कर देखा , कि एक टीवी शो के दौरान एक मशहूर गायक सिया के बारे बता रहे थे ।
टीवी शो— भारत की मशहूर गायिका सिया आज हमारे में उपस्थित हो रही है ,जिन्हे एक खास टीवी शो के दौरान यहां आमंत्रित किया गया है ।
वो अपनी आबाज से शहर में रंगीनियां बिखरने आ रही हैं आज शाम चार बजे ।
वरुण एक टक देखते ही रह गया । जैसे उसने अपने आप को कही खो दिया है । वरुण यकीन नहीं कर पा रहा था , जिस सिया ने मुझे दस वर्ष पहले धिक्कार के बेइज्जत करके मुझे जजील किया था आज वही सिया मेरे गीतों पर अपना नाम कमा रही हैं ।
वरुण ने ठान लिया था की में उसके इस शो में नही जाउंगा ।
मगर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था ।
संगीत के निर्देशक को यह बात ज्ञात थी कि वरुण इसी शहर में रहता है
उन्होंने वरुण को आमंत्रण पत्र भिजवा दिया । और पत्र में नीचे साफ साफ लिख दिया था की में स्वयं तुम्हे लेने आऊंगा ।
अब वरुण चाह कर भी इंकार नही कर सकता था ।
कार वरुण को लेने के लिए ठीक साढ़े तीन बजे आ गई और वरुण को जाना पड़ा ।
वरुण शो में आकर अतिथियों के बीच बैठ गया । सिया मांचपर बैठी हुई थी , इसलिए ना वरुण ने सिया को देख पाया और ना सिया ने वरुण ।
कुछ समय बाद सिया आगे आई और वरुण का लिखा गीत गाकर पूरे शहर में अपनी आबाज का व गीत का जादू विखेर दिया । सारे शहर में बाह बाह होने लगी । सिया के तरीफो के पुल बधने लगे ।
गीत समाप्त होने के कुछ समय बाद पुरस्कार समारोह का भी आयोजन होने लगा सिया को बेस्ट सिंगर का अवार्ड मिलना था ।।
संगीत के निर्देशक आगे आते है , सभी लोगो संबोधित करते है ।
कि आज सिया ने जो मुकाम हासिल किया है वो सिया की मेहनत का ही परिणाम है । जब पहली बार मैने सिया का साक्षात्कार किया तो मुझे सिया की आबाज पसंद नहीं आई और मेने सिया को निरस्त कर दिया ।
लेकिन इसके बाबजूद सिया ने हिम्मत नही हारी । और वो तमाम छोटे बड़े समारोह के गाती रही । लेकिन एक दिन ऐसा आया जब मेने सिया की आवाज अपने टीवी पर सुनी , उस वक्त सिया हमारे सुप्रसिद्ध गीत लेखक वरुण कुमार जी के गीत गा रही थी । उस गीत पर सिया जी की आवाज जैसे सोने पर सुहागा हो , ऐसे साबित हुई । मुझसे रहा नही गया मेने तुरंत सिया जी को एक एल्बम साइन करने के लिए बुला लिया । इस एल्बम के सारे गीत हमारे वरुण जी ने लिखे है । आज उन्हीं गीतों के वजह से सिया जी ने आपने नाम परचम सारे संसार में लहराया ।
इसलिए में चाहूंगा कि आज सिया जी के लिए ये बेस्ट सिंगर अवार्ड वरुण जी खुद अपने हाथों से प्रदान करें ।
यह सुनकर वरुण अपने आप में अथाय खुशी भी महसूस कर रहा था ,
शायद वरुण अपने अपमान का बदला भूल चुका था । क्योंकि सिया अब वो सिया नहीं रही , वो अब एक सुपर स्टार बन चुकी थी ।
लेकिन एक बात मन में खटक रही थी कि कही सिया को वह पुरानी बातें याद ना हो , जिससे में उसके सामने जाऊं और वो उसे अपनी बेइज्जती समझें । वरुण झिझक रहा था । म्यूजिक डायरेक्टर ने वरुण जी को मंच पर आने का आग्रह किया । जैसे ही सिया ने वरुण को देखा सिया के होश उड़ गए और पाऊं तले से जमीन खिसक गई । उस वक्त सिया अपने आप में इतनी शर्मिंगी महसूस कर रही थी , कि जिसे सिया ने कभी ठोकर मार निकाल दिया था , आज उसी के दरवाजे पर आकर खड़ी है ।
लेकिन वरुण तो ये सब बातें भूल चुका था । जब वरुण सिया के पास आता है सिया की निगाहे शर्म से झुक जाती है । लेकिन वरुण तो ठहरा नेक दिल इंसान उसे कहा पुरानी बाते याद थी ।
वरुण अपने हाथ में वो अवार्ड लेता है और सिया की ओर बड़ता है , वरुण सिया के लिए अवार्ड देता है और हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे करता है ,
सिया धीरे धीरे हाथ आगे बढ़ाती है और वरुण से हाथ मिलती है ,
सिया वरुण से अपनी गलती की माफ़ी मांगती है । और उस से अपने अपने प्यार का इजहार करती है ।
शायद वरुण के लिए यह दिन जिंदगी का सबसे हसीं दिन हो सबसे हसीं पल हो , वरुण एक क्षण गवाए बिना ही सिया से अपने प्यार का भी इजहार करता है । और दोनो एक दूसरे के गले लगते हैं । सारे दर्शक ये दृश्य देखते रह जाते है ।।
अब से सिया और वरुण की जिंदगी एक हसी जिंदगी बन गई । और दोनो खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगे ।
लेखक _ विनय कुमार झा
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आप इस यूजर नेम से हमसे कहीं भी जुड़ सकते हैं ।।
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