उनके लिखे हर गीत पर गुनगुनाऊंगा में : गीत

 गीत

लेखक – विनय कुमार झा


उनके लिखे हर गीत पर गुनगुनाऊंगा में  — २
उनकी लिखी हर नज़्म पर अर्ज फरमाऊंगा में  — २
उनके लिखे हर गीत पर गुनगुनाऊंगा में  — २
शायर हूं मैं ।।
शायर हूं मैं ।। हा...
वो शायरी हैं मेरी ।।।
उस शायरी के दर्द में भी सदा मुस्कुराऊंगा मैं ।।
उनके लिखे हर गीत पर गुनगुनाऊंगा में  — २
उनकी लिखी हर नज़्म पर अर्ज फरमाऊंगा में  — २
कहना था कुछ मुझे को तुमसे ।।
वहीं आज कहना है तुमसे ।।
तुम जान बन जाओ मेरी ,
फिर जान बन जाउंगा में ।।
उनके लिखे हर गीत पर गुनगुनाऊंगा में  — २
उनकी लिखी हर नज़्म पर अर्ज फरमाऊंगा मैं ।। 
मेरी कहानी मैं अहसास तुम हो ,
मेरी खुशी में मेरे पास तुम हों ।।
बाकी ना मेरी कोई आरूजू है ,
तेरे साथ रह कर संवर जाउंगा में ।।
उनके लिखे हर गीत पर गुनगुनाऊंगा में  — २
उनकी लिखी हर नज़्म पर अर्ज फरमाऊंगा मैं ।। 
उजड़े चमन में बहारें होगी
तेरे दिल में मेरी चाहत होगी 
जमाने में अपनी पहचान होगी ।
कुछ इस कदर पहचान बनाऊंगा में ।।
उनके लिखे हर गीत पर गुनगुनाऊंगा में  — २
उनकी लिखी हर नज़्म पर अर्ज फरमाऊंगा मैं ।। 



🙏🙏🙏🙏 

सादर धन्यवाद 

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