भाजपा शासित प्रदेश गुजरात से लगभग तीन हजार किलोमीटर दूर असम पुलिस जिग्नेश मेवानी को गिरफ्तार कर ले जाती हैं । मात्र एक आलोचात्मक ट्वीट के लिए !
मगर जब छत्तीसगढ़ पुलिस रोहित रंजन को गिरफ्तार करने पहुंचती हैं तो गाजियाबाद पुलिस आकर उन्हें रोक देती हैं । और कहती हैं बिना अनुमति आप रोहित रंजन को नहीं ले सकते हैं । जबकि असम पुलिस ने जिग्नेश को हिरासत में लेने के बाद स्थानीय पुलिस को सूचित किया । और स्थानीय पुलिस ने खुशी खुशी ने तीन हजार किलोमीटर दूर पूर्वी राज्य में ले जाने की अनुमति दे दी । क्या गुजरात में जिग्नेश के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं थी या दोनों राज्यों में भाजपा का शासन था । कारण कुछ भी हो सकता हैं ।
लेकिन रोहित रंजन के खिलाफ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में एफआईआर दर्ज होने के बाबजूद नोएडा पुलिस ये कहकर हिरासत में ले लिया कि उनके पास रोहित के खिलाफ एफआईआर दर्ज हैं, जबकि किसी अधिकारी ने इसकी पुष्टि नहीं की ।
यदि नोएडा पुलिस के पास एफआईआर दर्ज थी तो छत्तीसगढ़ पुलिस के आने से पहले क्यों नहीं गिरफ़्तार किया ।
यहां एक यह भी उठता हैं कि कानून के काम में राजनेताओं की हेराफेरी की क्या जरूरत है ?
Source : social media and media.
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