अब सूनी सूनी राहें है, भीगी हुई सी निगाहें हैं,

 



अब सूनी सूनी राहें है,

भीगी हुई सी निगाहें हैं, 

लब जुवां खामोश हैं,

सिर्फ़ तन्हाई और आहें हैं।।

तेरी यादों का भंवर हैं,

मन भी बेखबर है।।

टूटती अंगड़ाई है,

सांसे भी पराई है।

मुझपे जो असर है

तेरी चाहत का कहर हैं।।

बेबसी और मायूसी हैं,

दिन रात सिर्फ खामोशी हैं।।

तन्हा अब ये बाहें हैं,।

भीगी हुई सी निगाहें हैं,।।

अब सूनी सूनी राहें है,।।


- Vinay Kumar Jha 

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