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Photo - Noida Se. 1, Near Bhilwara Tower |
क्यों जाऊं मैं उस गली में
दम घुटे मेरा जिस गली में।
उन्हें उनकी चौखट मुबारक
मैं खुश हूं अपनी गली में।।
जिन्हे पसंद नहीं है मेरा चेहरा
क्यों तकूं मैं उनका चेहरा,
उनकी गली में।
मैं छोड़ आया उनकी यादें
उन्हीं की गली में,
फिर क्यों आंसु बहाऊं
मैं उनकी गली में।।
हां मुझे प्यार था उनसे
रोज जाता था उनकी गली में।
कभी सूरज की पहली किरण
निकलती थी उनकी गली में,
कभी सांझ ढले चांद का
दीदार होता था उनकी गली में।।
अब वो रुत ना रही उनकी गली में
नहीं महसूस होती मुझे
उनकी खुशबू उनकी गली में।।
वो मुंह फेर बैठे हैं मुझसे
मौसम भी बदल गए उनकी गली में।
था अब भी उनका इंतज़ार हमें
उनकी गली में।।
पर वो रूठ कर बैठे हैं
अपनी गली में।
बहुत किए जतन कि
वो मिले हमें अपनी गली में।
ठुकराया उन्होंने हमें
अपनी गली में।।
कह दिया हमनें भी
खुशियां मुबारक हो उन्हें
उनकी गली में।।
सच कहूं अब दम घुटता हैं
मेरा उनकी गली में।।
उन्हें उनकी चौखट मुबारक
मैं खुश हूं अपनी गली में।।
मैं खुश हूं अपनी गली में।।।।
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