अब वो मुहब्बत नहीं झलकती तेरी ये बातो में ।।
रकीव के साथ मिलकर हम बिस्तर बन रहे हैं,
अक्सर मेरी करवटें गग्रेट्स देती रातों में होती है ।।
(२) गुरूर था ना तुम अपनी वाजी पर साहब,
पर क्या हुआ चंद लम्हों में सिमट गया ।।
प्रशंसाफे हुआ करती दुनिया थी आपकी,
ोश वो देखो आज खामोशियाँ में बैठ गई ।।
धोनी साहब आप की छवि शायद मिट गई ।।
(३) गुरूर था ना तुम अपनी वाजी पर साहब,
पर क्या हुआ चंद लम्हों में सिमट गया ।।
प्रशंसाफे हुआ करती दुनिया थी आपकी,
ोश वो देखो आज खामोशियाँ में बैठ गई ।।
धोनी साहब आप की छवि शायद मिट गई ।।
(४) सब जिन्दगी सड़कों पर यूं ही गवां दोगंगा।
हो गर गरुड़ दौलत तो पानी को तरह बहा दूंगा।
एक सपना मेरा अभिभाव से सर उठाकर जीने का,,
जरूरत पड़ी तो इसके लिए हस्कर जां भी गन्थ दोंगा ।।
(4) हमारी तस्वीर से मैं गर तुमे अलग कर दिया तो यूं ना समझ लेना कि मैं तुम्हारे बारे में अपने दिल से अलग कर दिया तुम मेरे दिल में धड़कन कि तरह मेरे जिस्म में सांसो की तरह आज भी जीवित हो।
(५) मत पूछो हमारे दिल की बात
ना जाने हम कितने जख्मों से ताल्लुकात रखते हैं।
कभी रख देना हमारे सामने आईना,
पता चलेगा हम दिल में कितने जतन से रखते है।
(६) गुरूर था ना तुम अपनी वाजी पर साहब,
पर क्या हुआ चंद लम्हों में सिमट गया ।।
प्रशंसाफे हुआ करती दुनिया थी आपकी,
ोश वो देखो आज खामोशियाँ में बैठ गई ।।
धोनी साहब आप की छवि शायद मिट गई ।।
(() अब मुहब्बत का पता रकीव से पूछें
टूटे दिल के आशिक़ क्या बताएंगे।
शहर में तो उमड़ रहे इश्क़ का धुंआ,
बुझती सम्माआ परवानों को क्या जलाएंगे ।।
विनय कहता है कि इश्क़ सोच कर करना,
यहाँ सब बेवफ़ा है ये इश्क़ क्या खेलएंगे ।।
(8) पूछ कर तो ना लगाया गया था दिल तुमसे,
तो फिर क्यों लगता है कि दिल टूट गया ।।
शक करने की आदत तो आपकी थी,
तो फिर क्यों कहते हैं कि यकीं टूट गया ..
इज्जत तो तुम्हारी थी तो क्यों किया प्यार,
ख़ुद ही इज्ज़त लुटकर कहते हैं कि वो इज़्ज़त लूट गए ।।
वादे तो शायद मैंने तोड़े हैं प्यार निभाने के,
वो तो तुमसे छोटी सी गलती से टूट गई ।।
अरे अब तो वही रह गया जो इश्क़ में छुप गया,
ये भी कहदो कि वो तो तेरा हाथ गलती से छूट गया ।।
वरना सा कायनात शुरू हो गया था हमें मिलाने में,
पर क्या करे वो तो हमें हमारा ख़ुदा ही रुठ गया ।।
(९) "निकम इश्क़"
दिल तो टूटा था उसके प्यार में तो क्या हुआ,
सांसों में रवानगी अभी बाकी है।
मुकम्मल ना हुआ इश्क़ तो कोई गिला नहीं,
क्योंकि तन में अभी भी जान बाकी हैं ..
दर्शकों को बसा लिया दिल में बसाना बाकी हैं।
इश्क़ तो कर लिया बस आजतक बाकी है ।।
क्योंकि ये गुस्ताख़ी दो बारा की हैं,
इसलिए उसके हर राज को जानना बाकी हैं ..
(१०) सुहाना से प्यार का समन था।
न जाने गम की विरासत को कहां से लाया ।।
देखो जो साथ जीने मरनें के वादे कर रहा था,
वो वफ़ा की मूरत किसी गैर के दामन में समा गई ।।
2 Comments
How it is ..
ReplyDeleteThanks 😊
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