यदि फिर से एक दलित वही बीती हुई जिंदगी जीने पर मजबूर होता है तो आजादी के कोई मायने नहीं रह जाते ।

               सफ़ाई वाला          एक दलित 

                                     फोटो  – विनय कुमार झा

            जब तक देश आज़ाद नहीं हुआ था तब तक हिंदू और मुसलमान की सिर्फ एक चाहत थी , हिंदुस्तान को किसी भी प्रकार से गुलामी की जंजीरों से आज़ाद कराना ।

जैसे ही आजादी की किरण निकली, लगने लगा की अब अंग्रेज़ी साम्राज्य की हुकूमत समाप्त होने वाली है , तब मुस्लिम लीक के नेता जिन्ना साहब ने कहा कि हिंदू हम मुसलमानों को हिंदुस्तान में अमन और चैन के साथ जीने नहीं देंगे । और उन्होंने हिंदुस्तान के बंटवारे का प्रस्ताव रखा । और यह यह ख़बर आग की भांति संपूर्ण भारत में फैल गई । जिन्ना के इस प्रस्ताव ने हिंदुस्तान को झकझोर कर रख दिया । हिंदू और मुसलमान में जो भाईचारा बना हुआ था उसमें दरार पड़ गईं । मुश्किल से मुश्किल हालात पैदा हुए । मगर जिन्ना साहब अपनी जिद्द पर अड़े रहे । और अंतः यह तय हुआ कि देश को आज़ादी तभी मिलेगी , जब हिंदुस्तान और पाकिस्तान दो देशों का निर्माण होगा । देश बंटवारे का प्रस्ताव अन्य कोई मानने के लिए तैयार नहीं था । देश बंटवारे के दर्द को हम इस प्रकार महसूस कर सकते हैं जैसे किसी ने हमसे हमारे शरीर का कोई अंग मांग लिया हो जिस के बगैर जीना संभव ना हो । मगर एक कहावत है यदि हमारे शरीर का कोई अंग खराब हो जाए तो उसे अलग कर देना ही बेहतर होता है इससे बाकी जिंदगी जीने में आसानी होती है । भले ही हमें उस अंग को खोने का जीवन पर्यंत अफसोस रहे । ठीक वैसी ही स्थिति यहां बनी देश आजाद हुआ पाकिस्तान अस्तित्व में आया आखिरकार बंटवारा हो ही गया, जैसा जिन्ना ने सोचा था देखते ही देखते भारत मातम में तब्दील हो गया हर तरफ हिंदू मुसलमान में दंगे होने लगे एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए , हिंदुओं ने मुसलमानों को मारना शुरू कर दिया और मुसलमानों ने हिंदुओं को । कई बच्चे अनाथ हो गए, कई माताएं बेवा हो गई ,कई लोगों के घर उजड़ गए बेघर हो गए बहुत कुछ बर्बाद हो गया ।




 हिंदुस्तान का दर्द जब हमने महसूस किया तब एक वक्त ऐसा लगा काश बंटवारा ना हुआ होता तो यह दिन नहीं देखने पड़ते । मगर बंटवारे के साथ-साथ हिंदू और मुसलमान के बीच जो नफरत की दीवार जिन्ना साहब ने खड़ी की वह आज भी देखने को मिल रही है । हिंदू मुसलमान एक दूसरे के जान के दुश्मन बने हुए हैं । देश भले ही बट गया मगर आज भी सीमाओं को पार करके अपनी जान जोखिम में डालकर औरों की जान ले रहे हैं ।और यह सिलसिला यूंही चलता रहेगा । जिन्ना साहब ने पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्र घोषित किया यदि हिंदुस्तान के लिए हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हिंदुस्तान में दंगे रुक जाएंगे। हिंदू और मुसलमान में दंगे रुक भी जाएं । मगर हिंदुओं में ऊंची जाति के लोग दलित वर्ग के व्यक्तियों को सदैव निम्न दृष्टि से ही देखेंगे । और दलित वर्ग के व्यक्तियों को सवर्ण कभी उन्हें उनके अधिकार नहीं देंगे । हमेशा उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखेंगे । हमारे भारत का संविधान हमारा गौरव है हमारा अस्तित्व है जिस के बगैर हम कुछ भी नहीं, हमारी ताकत हमारी शक्ति हमारा आत्मविश्वास हमारा मान और हमारा सम्मान सब कुछ संविधान है । संविधान में हम सभी के लिए समानता के अधिकार दे रखे हैं मगर आज भी हमारे देश में ऊंच-नीच और छुआछूत जैसे अंधविश्वास अपनी चरम सीमा पर हैं । जितना संघर्ष और जितनी जिंदगियां हमने आजादी को हासिल करने में गवाई , उतना ही संघर्ष उतनी ही जिंदगी या शायद दलितों को अपने अधिकार हासिल करने में गवांना पड़े । आजकल देश में हर कोई देश को हिंदू राष्ट्र बनता हुआ देखना चाहता है । एक बार फिर से रामराज्य स्थापित करना चाहता है मगर क्या कोई है ऐसा जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों पर चल रहा हो । आज भी बड़े शौक से लोग संविधान की अवहेलना करते हैं कानूनों को अपने हाथ में लेते हैं ,लोगों की जिंदगियों से खेलते हैं और समाज में दलितों का आज भी वही स्थान है जो बरसों पहले हुआ करता था । यदि फिर से एक दलित वही बीती हुई जिंदगी जीने पर मजबूर होता है तो आजादी के कोई मायने नहीं रह जाते । कितने जवान शहीद हुए हैं देश की आजादी के खातिर यदि कोई व्यक्ति अन्य व्यक्ति पर जुल्म ढाए जाएं तो उनका बलिदान शून्य हो जाएगा । आजाद भारत का सपना देखने वाले और हंस कर अपनी जान गवाने वालों ने यही सोचा था कि आने वाली पीढ़ियां सर उठाकर चलेंगे खुली हवा में सांस लेंगी । यही सोचकर उन्होंने अपनी जान दांव पर लगा दी , मगर जब उन्हें यह पता चलेगा कि हमारा बलिदान हमारी कुर्बानी व्यर्थ गई , एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का दुश्मन बन कर बैठा हुआ है आज भी वही सदियों पुराने छुआछूत ऊंच-नीच अंधविश्वास पाखंड में व्यक्ति विलीन है यकीनन उन्हें बहुत दुख पहुंचेगा । यदि देश को पुनः विश्वगुरु बनाना है तो हमें उन वीरों के बताए हुए मार्ग पर चलना होगा उनके त्याग और बलिदान से हमें प्रेरणा लेनी होगी । मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम तो नहीं बन सकते मगर उनके आदर्शों से कुछ सीखना होगा हमें रामराज्य स्थापित करने के लिए समाज में व्याप्त समस्त वर्णों की रक्षा करनी होगी उन्हें उनका मान सम्मान लौटाना होगा उन्हें समाज में जीने का बराबर हक देना होगा जो आज व्यक्ति व्यक्ति का दुश्मन बन कर बैठा है । हमें अपने बीच में वह भाईचारा स्थापित करना होगा जिससे हम कामयाबी के शिखर को छू सकें । तब हमें विश्व गुरु बनना इतना आसान हो जाएगा जैसे खुली हवा में सांस लेना । हमें जाति और धर्म की जंजीरों को तोड़ना होगा । इन से बाहर निकलना होगा यदि राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहते हैं । और यह तभी संभव हो सकेगा जब हर किसी व्यक्ति के मन में सिर्फ राष्ट्र के प्रति प्रेम हो । इक व्यक्तिमेंदूसरे व्यक्ति के प्रति प्रेम हो ना की किसी धर्म या जाति के प्रति ।।



लेखक – विनय कुमार झा 

एक दलित 

Post a Comment

0 Comments

Close Menu