आस्था या अंधविश्वास




वॉलीबुड में ऐसी अनेकों फिल्में है जो समाज के नाम धब्बा पर है , वो हमारी पवित्रता को दूषित करती है । इसके साथ आश्रम वेबसरीज में कुछ ऐसे कंटेंट शामिल किए गए हैं जो पुर्णः अक्षम्य हैं । मगर उसे जिस दृष्टि से समाज में उतारा गया वो उचित है । समाज में अंधविश्वास और पाखंड इतना बड़ गया है की लोग आपसी प्रेम को भूलते जा रहे हैं । जो अन्य लोगों के स्वाभिमान को चोटिल कर रहे । आश्रम में दिखाए गए बाबा निराला को एक पाखंडी बाबा के प्रतिबिंब के रूप में उतारा है । जो धन दौलत से संपन्न है , और लोगों की मदद करने के लिए आगे आता । जो सिर्फ बाहरी दिखावा होता । और असल ज़िंदगी में यही होता चला आ रहा है । बाबा लोग चंदा के नाम अंध्यविश्वासी व्यक्तियों से लाखों करोड़ों रुपए मांग लेते , और ऐसे व्यक्ति उन्हें अपना सब कुछ समर्पित कर देता है । ऐसे बाबा लोग खुद को भगवान का प्रतिनिधि बताते है । और लोगों को अपनी पूजा करवाने पर बाध्य करते हैं । ये बाबा लोग अपने भक्तों से कमाए लाखों करोड़ों रुपयों की काला बाजारी करते है , उसमे से कुछ हिस्सा समाज के हित में लगा देते । जैसे आश्रम में दिखाया गया है की बाबा ने नशा मुक्ति केंद्र खोल रखा है , और खुद नशा बाट रहा है । कहने का तात्पर्य यह है कि अपने माया जाल में वो खुद ही फसते है । और उससे निकलने के लिए मोटी रकम वसूल करते है । इनको भक्तों को इन पर इतना विश्वास हो जाता है की वो आंख बंद करके भी इन पर भरोसा करने लगते है । और अन्य लोगों को भी बाबा की शरण में आने की सलाह देते है । इस प्रकार बाबा के भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है । बाबा की इतनी प्रसिद्धि देख फिर बड़े बड़े राज नेता और अभिनेता भी उनके दरवाजे माथा टेकने जाते है । और बाबा को भेंट के नाम मोती रकम भी देते है । और साथ साथ बाबा के कई कार्यक्रमों का हिस्सा भी बनते है । जिससे जनता बाबा के साथ राजनेता और अभिनेता की ओर आकर्षित होती है । और जो राजनेता शासन में होता है ,यदि उसे ऐसे बाबा लोगों का आशीर्वाद रहता है । तो वह ऐसे बाबा लोगों के कुकर्म भी छुपा देते है । जिससे बाबा और नेता खूब तरक्की करते है । और देश विदेशो में भी अपने नाम का डंका बजबाते है । कई जिंदगियां बर्बाद हो जाती है कई परिवार तबाह हो जाते है । ऐसे बाबा लोगों की यदि कोई शिकायत भी करता हैं तो उसे तुरंत सजा दी जाती है । ये सजा कानून नही बल्कि बाबा के भक्त देते है । क्योंकि ऐसे भक्तों की अपने बाबा के प्रति अगाध श्रद्धा होती है । और यह वर्षो तक यूंही चलता रहता हैं , फिर बाबा नए नए कानून बनाता है , नई नई रीतियां बनाता । यहां तक उनके जीने का ढंग भी बदल देता है । यदि राज नेता को ऐसे बाबा लोगों से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है तो वह बाबा को राष्ट्र में महत्वपूर्ण दर्जा देते है । अन्य लोगों को बाबा की ओर आकर्षित होने के लिए भी कहा जाता है । इस प्रकार ऐसे मायाजाल सब कुछ विलुप्त हो जाता है , लोग अपने अस्तिव से मुंह फेर लेते है । बाबा के द्वारा पढ़ाए पाठ की याद रखते है । यदि ऐसे वक्त में कोई विज्ञान की बात करता है तो उसे देशद्रोही करार दे दिया जाता हैं । कोई उन्हें आईने दिखाने की कोशिश करता है तो ऐसे लोग उन लोगों के साथ दुश्मनों के जैसा सलूक करते है । उन्हें राष्ट्र निस्कासित करने की बात कहते है । ये वक्त अंधभक्ति नहीं बल्कि विज्ञान है । हमें सच्चे धर्म के साथ साथ विज्ञान पर भी जोर देना चाहिए । अभी देखना कुछ नीची सोच के लोग धर्म को लेकर ज्ञान देंगे , मगर वो यह नहीं जानता कि उसके हाथ में जो फोन है वह धर्म ने नही विज्ञान ने दिया है । ये वक्त ऐसे बाबा लोगों को बढ़ावा देने का नहीं है बल्कि विज्ञान के क्षेत्र में नई नई उपलब्धियां हासिल करने का है । हमें खुले मन ऐसे लोगों की निंदा करते हैं जो शिक्षित होकर अंधभक्ति में विश्वास रखते है । लोगों को शिक्षित करने के बजाय अंधभक्ति का ज्ञान देते है । जो खुद अपने आप से परिचित नहीं होते है वो हमें भविष्य और बीते कई वर्षो का ज्ञान देते है । आप जिस धर्म व कर्म में विश्वास रखते है । आप बेशक रखिए मगर उसमें सही और गलत का भी अंदाजा भी लगाइए । क्योंकि आपके द्वारा किया गया विश्वास आपकी पीढ़ी को उसी ओर ले जायेगी । इसलिए उचित और अनुचित की पहचान करिए । और धर्म के साथ उन कार्यों में विशेषतः ध्यान दीजिए जिनमें आपका और समाज का हित हो ।


 लेखक– विनय कुमार झा

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