(1) _ किसी ने ठीक ही कहा है
जहां व्यापार होता हैं वहां दोस्ती नहीं होती ।
(2) _ और जहां स्वार्थ होता हैं वहां प्रेम तो क्या मित्रता भी नहीं टिकती ।
(3) _ किस किस की मुहब्बत पर तुम लांछन लगाओगे ।
आईने में खुद को जब भी देखोगे तन्हा ही पाओगे ।
(4) _ तुम अंदर से इतने खोखले और अकेले हो गए हो
कि तुम्हे हर किसी की मुहब्बत में स्वार्थ नजर आता है ।
(5) _ तुम उस टूटी हुई मूर्ति की तरह हो जिसे लोग पूजते तो है ,
मगर कोई मन्नत नहीं मांगते।
(6) _ और रही बात मुहब्बत की
सो जो डरता है वो मुहब्बत नहीं कर सकता हैं
(7) _ जो डर कर मुहब्बत करता है वेशक उसमे उसका स्वार्थ निहित होता है ।
(8) _ मुहब्बत किसी के दवाब में आकर या डरकर नहीं की जाती है ।
(9) _ ये मुहब्बत किसी से भी हो सकती है चाहे वह जीव हो या निर्जीव
इसके साथ साथ लोग उससे भी मुहब्बत करते है जो इस दुनिया में ना पहले कभी था और ना कभी होगा ।।
(10) _ यदि मेरी मुहब्बत का कोई कारण हुआ तो बह मुहब्बत नहीं स्वार्थ में तब्दील हो जायेगी ।
(11) _ लोगों ने जिसे मुहब्बत का नाम दिया है वह एक खुबसूरत एहसाह है ।।
(12) _ मोहब्बत ही दुनिया की एक ऐसी अनोखा रिश्ता है
जिसमें यदि दो में से एक जाता है तो कुछ नहीं बचता ।।
(13) _ और यहां जीतने वाले अक्सर हार जाते हैं और हारने वाले हमेशा जीत जाते हैं इसी का नाम है मोहब्बत ।।
(14) _ आप एक अपंग व्यक्ति से अपनी जान का खतरा जाहिर करोगे तो लोग आपको मूर्ख समझेंगे ।
(15) _ अपनो से जीतकर कहां जायेंगे ,
हारे तब भी मुहब्बत नसीब होगी ।।
— विनय कुमार झा
2 Comments
सुपर मेरे भाई
ReplyDelete❣️ से धन्यवाद
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