हां हम वर्षो से सताए है ।

 



हर तरफ अंधेरा अंधेरा है ,

जैसे आंखों में बादल छाए हैं । 

बैचेनी सी उमड़ रही ,

हर तरफ गमों के साए हैं ।

कुछ टूटा जैसे महसूस किया ,

धड़कन और सांस के बजाय है ।

कैसे बयां करूं उस दर्द को ,

हम कई वर्षो के सताए है ।।



— विनय कुमार झा

Post a Comment

0 Comments

Close Menu