आए दिन हत्याओं का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है हमारे उत्तर प्रदेश में हत्याएं आम बात हो गई है सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है इससे यह साबित होता है की कानून व्यवस्था इतनी कमजोर पड़ गई है कि लोग बाग को जान की कीमत सस्ती लगने लगी है । लोगों ने कानून अपने हाथों में लेना शुरू कर दिया है और जरा जरा सी गलती पर मौत के घाट उतार देते हैं । सिर्फ इतना ही नहीं जहां एक ब्राह्मण की हत्या होती है तो सारा देश उस के पक्ष में आकर खड़ा हो जाता है और उस ब्राह्मण के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा की मांग करते हैं । मगर कुछ दिनों से देखने को मिल रहा है राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जो दलित हत्याएं हुई हैं उन पर किसी भी संगठन या किसी भी बुद्धिजीवी ने सवाल तक खड़े नहीं किए बात यहां सिर्फ दलित या ब्राह्मण की नहीं है बात है तो सिर्फ जान की कीमत की । जो लोगों को इतनी सस्ती लगने लगी है । इसका जिम्मेदार कानून व्यवस्था ही है एक तरफ कानून लोगों को स्वतंत्र रहने स्वतंत्र सोचने का अधिकार देता है दूसरी तरफ लोगों को कानून ताकतवर भी बनाता है मगर चंद पैसे वालों लोगों ने कानून को अपने हाथों में लेना शुरू कर दिया है ।
शायद वह जान की कीमत तो नहीं जानते लेकिन कानून की कीमत का उन्हें भली-भांति अंदाजा हो गया है ।
इतने करप्ट और रिश्वतखोरी अधिकारीगण हमारे प्रशासन और शासन में भरे हुए हैं जो तय करते हैं कि किस जुर्म को करने पर कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी यही वह चंद्र लोग हैं जो किसी की भी जान का सौदा कर लेते हैं और कानून के हाथों से बच निकलते हैं । कुछ भ्रष्ट अधिकारी भी इन मौतों के जिम्मेदार होते हैं जिन पर कोई सवाल जवाब खड़ा नहीं किया जाता है यदि कोई दोषी पाया जाता है तो वह पैसों की दम पर कानून के चंगुल से बच निकलता है ।
अशोक कुमार जी ने एक शेर लिखा है कि –
वो आश्वस्त था न्याय मिलेगा ज़रूर , उसने फीस पूछी और इल्जाम कबूल कर लिया ।
यही हाल है हमारे देश के गरीबों का कि वह अपने हक की लड़ाई अपने न्याय की लड़ाई खुद नहीं लड़ पाते हैं और पैसों की कमी के रहते बेगुनाह होते हुए भी खुद को गुनहगार बना लेते हैं ।
उत्तर प्रदेश में अनगिनत आए हुए हैं देखने को भी मिल रहा है हाल ही में प्रयागराज में घटित घटना ने झकझोर कर रख दिया । इसके तुरंत बाद एक और घटना आजमगढ़ में घटी । इससे पहले सरेआम कोर्ट में एक वकील को गोली तक मार दी जिसे न्याय का मंदिर कहते हैं इन सब बातों से साफ-साफ प्रतीत होता है कि हमारी सरकार का ध्यान कानून व्यवस्था की तरफ ना होकर अपनी राजनीति की ओर है जिसे हम लोगों से वोट से अधिक और कुछ उम्मीद नहीं रखते है वह हमें आंकड़ों में गिनती करते हैं और हम उनके लिए एक आंकड़े मात्र ही हैं यदि वह हमारी जान की कीमत समझ पाते तो शायद ऐसी घटनाएं दोबारा नही होती ।
किसी ने ठीक ही कहा है जिंदगी आजकल मंहगी हो गई और मौत बहुत ही सस्ती हो गई ।
सिर्फ उत्तर प्रदेश या राजस्थान ही नहीं बिहार और मध्यप्रदेश इन से नहीं छूटा है । दंगे फसाद हत्याएं लूट आदि तमाम चीजें वहां भी सरेआम हो रहे हैं सिर्फ गिने-चुने दो-चार राज्य नहीं है बल्कि पूरा देश इस के चंगुल में बुरी तरह से फंस चुका है लोगों में जो भय था , कानून के प्रति अब वह समाप्त होता सा नजर आ रहा है और उसकी वजह यह है कि कानून की कीमत तय हो गई है ।
हत्याओं का सिलसिला जारी है ।कानून पर भ्रष्ट पैसे वाला भारी है ।अब सरकार क्या करें बेचारी ।वो कुर्सी की भूख कि मारी है ।।
– विनय कुमार झा
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