अंबाला कैंट चर्च , 173 साल पुरानी मूर्ति तोड़ी |
संविधान बनाते वक्त यह निर्णय लिया गया था कि देश संविधान से चलेगा और भारत में जनता का शासन होगा । जनता ही अपने बहुमूल्य मत से अपने किसी नेता का चुनाव करेगी । अर्थात सम्पूर्ण भारतवर्ष लोकतंत्र के अधीन होगा ।
मगर आज कुछ गतिविधियां कट्ठरता को बढ़ावा दे रहीं हैं । जो किसी भी राष्ट्र के लिए खतरा साबित हो सकती हैं । आए दिन समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में देखने को मिल रहा है कि कट्ठरता किस तरह से मानव जाति के लिए खतरा बन कर सामने आ रहीं हैं ।
हाल ही में बीते दिन ईसाइयों ने अपने भगवान युशू मसीहा के जन्म दिवस का आयोजन किया तो कुछ धार्मिक उन्मादियों ने ईसाइयों के बीच जाकर उनका कार्यक्रम बंद करवाया और जय श्री राम के नारे भी लगाए । जबकि ऐसा करना कानूनन अपराध है । एक और अन्य जगह ईसाइयों द्वारा क्रिसमस डे के शुभ अवसर पर गरीबों को वस्त्र वितरित किए जा रहे हैं और कुछ लोग स्वेच्छा से ईसाई धर्म अपना भी रहें थे । तभी वहां कुछ कट्टरपंथियों ने पहुंच कर ईसाइयों के उत्सव में बाधा उत्पन्न की और स्पीकर पर हनुमान चालीसा का पाठ भी चलाया । धर्म परिवर्तन कर रहे लोगों पर अपना दवाब बनाया और उन्हें धर्म परिवर्तित करने से रोका । कुछ कट्टरपंथियों ने आरोप लगाया कि ईसाई जन हमारे हिंदू धर्म के लोगों को धन की लालच देकर धर्म परिवर्तित करवा रहें थे । इसलिए हमनें उन्हें रोका ।
इन सब बातों से साफ साफ नजर आता हैं कि सरकार की भी यहीं मंशा है । और सरकार ने चंद धर्म के ठेकेदारों को ये छूट दें रखी है ।
आज हमारा देश यदि सरहद पार बदनाम हो रहा हैं उसके पीछे इन्हीं कट्टरपंथियों का हाथ है जो सम्पूर्ण भारतवर्ष में धार्मिक उन्माद पैदा कर रहें है । आज कहीं ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि हमारा देश धार्मिक जंजीरों में जकड़ता जा रहा हैं । जो अन्य समुदाय के व्यक्तियों पर कहर बनकर टूटेगा ।
यदि उस भयानक दौर में कोई मिटेगा तो वह है किसान और मजदूर वर्ग । जिसे दिन भर की मेहनत भी कम पड़ जाती हैं अपनों का पेट भरने के लिए उस व्यक्ति को आपके विचारों से कोई लेना देना नहीं है । मगर जोखिम उठाएगा तो सिर्फ़ वहीं ।
याद करो आज़ादी के वक्त वो बंटवारे का भयानक मंजर कुछ स्वार्थी लोग जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए देश के टुकड़े कर दिए और भुगतना पड़ा था हमें । जाने गवाई थीं हमनें अपनो को खोया था हमनें । जानें कितनों के घर उजड़ गए थे । याद रखना ये सब मिटने वाले मजदूर और किसान थे ।
हमारी तकदीर लिखने वाला कोई नेता या राजनेता नहीं था ।
आज वैसा ही दौर फिर लौट कर आने वाला है याद रखना जो हमारी तकदीरों का फैसला करेंगे वो अपने स्वार्थ वश करेंगे , और इस लड़ाई में उनका अपना कुछ नहीं जायेगा ।
मेरे प्यारे देशवासियों अमन चैन से रहना और मानव का कल्याण करना , तुम्हें कोई कितना भी जाति धर्म के नाम पर भड़काए आप किसी के बहकावे में आना । संविधान ने सभी को जीने का अधिकार दिया हुआ है । आप शान से जियो ना कि किसी को यतीम व अनाथ व अनाथ बनाकर ।
— विनय कुमार झा
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🙏🙏
ReplyDeleteHii
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