मैं और डॉक्टर
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhaQzK6rSfDrgtk6Pg8YfRrmA6ppHmQp7SMfwswrKCBiKjOHN4LRbuNWngvsmat-a8m6LugCx9w41THDhKxO8D2IOL1rld3AKR2wQFfzIvn117wvy8RacX1x76QEaNd5OQGw3kQtiocnMQjXH5QUgzL1Q4985K9TnYOECK0oZQD6jgQVlafktDHsIAA=s320) |
मैं और डॉक्टर : कहानी |
हम ऐसे दौर से गुजर रहें हैं जहां डॉक्टर के लिए भगवान कहा जाता हैं ।
ये बात सच हैं जान बचाने वाला भगवान होता हैं । मगर कभी कभी वक्त ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता हैं । जहां हम खुद किसी डॉक्टर के गुनाहों का आईना बन जाते हैं । आज कल शिक्षा के नाम पर धर्म के नाम पर चिकित्सा के नाम पर जोरों से धंधा चल रहा हैं । जबकि इनका वास्तवित रूप है मानव सेवा करना अन्य जीवों की रक्षा करना । एक सवाल मेरे दिमाग में सूझ रहा हैं , जिसे आप तीनों स्तर से मिलाकर देखिएगा । शिक्षा , धर्म और चिकित्सा । आपकी आंखों के सामने किसी बच्चें को उसके विद्यालय से निकाल दिया जाता हैं , उसका दोष क्या था कि उसने समय से विद्यालय की फीस जमा नहीं की । अब खुद के लिए एक मंदिर के पास प्रतीत करिए और देखिए एक व्यक्ति मंदिर के अंदर जाकर भगवान के लिए जल चढ़ाकर और प्रसाद चढ़ाकर आता हैं , तभी एक और व्यक्ति मंदिर में प्रवेश करता हैं जैसे ही वो मंदिर की दहलीज पर कदम रखता हैं । उसे बाहर निकाल जाता है और उससे कहा जाता है की बाहर से ही दर्शन करो , प्रसाद लगाओ और यहीं से जल भी चढ़ा दो । आपको अंदर जाने की अनुमति नहीं है । अब तीसरा चिकित्सा के बारे में सोचिए आप कहीं किसी अस्पताल के पास मौजूद हैं , आपके सामने एक व्यक्ति घायल अवस्था में आता हैं , जिसे जल्द से जल्द इलाज की आवश्यकता है । गौर से देखिए वहां एक भगवान खड़ा है जो लोगों की जान बचाता है , जिसे डॉक्टर कहते हैं , वो उस मरीज के पास आता है और हालत देखकर कहता हैं की में कुछ दवाइयां लिख देता हूं फटाफट वो दवाई ले आओ और केस काउंटर पर उक्त राशि जमा कर दो । वो राशि किसी भी रूप में हो सकती है , जैसा कि पंजीकरण के तौर पर फीस के तौर पर या और भी अन्य किसी तौर पर हो सकती हैं । अब जरा सोचिए सामने वाला किसी भी प्रकार से पैसे देने की स्थिति में नही है तो क्या उसका इलाज होगा । एक तड़फते हुए दृश्य को अपनी आंखो के सामने लाईए और महसूस करिए ये वहीं भगवान है मुर्दा को भी जीवित बताकर पैसे जमा करवा लेते है बाद में माफ़ी मांग कर कहते है हम उन्हे नही बचा पाए हमें खेद हैं । और इतना कहकर अलग हो जाते हैं । मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हूं कि भारत देश की 99 प्रतिशत अस्पतालों में यहीं होता जो किसी निजी स्वमित के अधीन होती हैं । भारत देश में मात्र एक प्रतिशत ही ऐसे डॉक्टर होंगे जो अपने पेशे को मानव सेवा समझ कर करते हैं ।
कोरोना काल के दौरान डॉक्टर भगवान बने हुए थे , मैं नहीं जानता कि वो मानव सेवा समर्पित भाव से कर रहे थे या मजबूरी के अधीन होकर कर रहे थे । हां मुझे कुछ डॉक्टरों पर नाज जिन्होंने अपने पेशे को धंधा नहीं बनने दिया । बल्कि मानव सेवा के लिए पूर्ण रुप से समर्पित है । हां वो पैसे लेते है उनका भी परिवार हैं । मगर वो अन्य डॉक्टरों की तरह महिषे और दरिंदे नहीं है ।
मैं अपने जीवन की एक घटना के आपको वाकिफ कराना चाहता हूं , जो मेरे और एक डॉक्टर के बीच घटित हुईं । यह घटना कल कि यानी 3 दिसंबर 2021 की हैं ।
मैं नाम जगह और किसी प्रकार की पहचान शेयर करना नहीं चाहता हूं ।
इस घटना की शुरुवात 1 दिसंबर को होती हैं , मैं अपने काम पर था तभी मेरे पास एक व्यक्ति आता है मुझे वह एक पर्चा देता हैं । मैं उस पर्चे के लिए ले लेता हूं मगर उस पर ध्यान नहीं देता हूं । और अपने काम में जुट जाता हैं । लेकिन जब मेरा कार्य समाप्त होता हैं में बाहर जाकर बैठ जाता हूं तभी मेरा ध्यान उस पर्चे की तरफ पड़ता हैं । तब मै सोचता हुं की देखूं तो सही आखिर इसमें क्या लिखा हैं । मैंने उस पर्चे को उठाया और देखा उसमे अंग्रेजी भाषा के कुछ लिखा हुआ था , पढ़ने में कठिनाई अवश्य हुई मगर समझने में नहीं । पर्चे पर बने चित्र देखकर समझ में आ गया । यह पर्चा अस्पताल का है और इसी अस्पताल में फ्री कैंप लगना हैं जहां (चित्र के अनुसार घुटना कोहनी कमर गर्दन व कूल्हे का ) उक्त इलाज होना हैं । ये सब तो मैंने समझा था मगर पर्चे पर क्या लिखा था और वो पता नहीं । पर्चे में सबसे ऊपर अस्पताल का नाम लिखा था फिर उसके नीचे उसके डिपार्टमेंट का नाम लिखा था कि शरीर के किस भाग का इलाज होता हैं यहां । इसके नीचे वो तारीख लिखीं थी जब फ्री कैंप का आयोजन होना था । इसके बाद नीचे कुछ तस्वीरों के माध्यम से दर्शाया गया था कि क्या क्या इलाज होता हैं । उसके नीचे मुख्यतः चार बिंदुओं में लिखा था –
○क्या आप लंबे समय तक खड़े रहने से या डेस्क पर बैठ कर कार्य करने से आपकी गर्दन में दर्द होता हैं ?
○क्या हल्के परिश्रम से आपकी पीठ या घुटनों में दर्द होता हैं ?
○क्या आपकी दैनिक जीवन की गतिविधियों से समझौता किया गया है ?
○क्या आप मानते हैं कि आपकी मुद्रा में दोष है ?
इसके नीचे लिखा था आप हमारे विभाग द्वारा एक निशुल्क व्यक्ति उपचार योजना प्राप्त करें ।
सरल शब्दों में आपको इनमें से जहां कहीं भी तकलीफ हो आप हमसे मुफ्त परामर्श लें ।
इसके बाद अस्पताल का संपर्क दिया गया था ।
इतना सब कुछ तो मुझे समझ नहीं आया था पढ़ने से इसलिए मैंने दिए गए संपर्क पर बात की । मैंने संपर्क के दौरान उन्हें बताया कि मुझे कूल्हे में दर्द है जो लंबे से बना हुआ है । मुझे अच्छे उपचार के लिए सही परामर्श चाहिए ।
मुझे फोन पर बताया गया की आपका पहले दिन जो उपचार होगा वो बिल्कुल मुफ्त होगा । इतना तो मैं भी समझता था कि एक निजी अस्पताल मुझे मुफ्त उपचार कभी भी नहीं मिल सकता हैं । मगर मैने सोचा यदि मुझे परामर्श ही मिल जाए तो बहुत हैं । इसके आगे उन्होंने मुझसे कहा कि आपकी जो भी समस्या होगी उसका निदान करके आपको प्लान समझाया जायेगा । पहले दिन आपको किसी भी प्रकार का पैसा खर्च नहीं करना हैं , हमारे डॉक्टर के द्वारा आपको जो प्लान बताये जायेंगे यदि आप उन्हें जारी रखना चाहोगे तभी आपको पैसे देने पड़ेंगे ।मुझे सुनकर अच्छा लगा कि एक बड़ी अस्पताल का डॉक्टर मेरी समस्या सुनेगा वो जरूर कुछ हल निलेगा । और बेहतर तरीके से मुझे समझाएगा । यदि मुझे उस पर यकीन हो जाता हैं और वो मेरे दर्द को समाप्त करने का वादा करता । तब जरूर में उसका उपचार प्लान जारी करता ।
इतना सब कुछ तो मैंने अस्पताल जाने से पहले ही सोच लिया था ।
मैंने सोचा कैंप लग रहा हैं अधिक संख्या में लोग आएंगे । पता नहीं कितना समय लग सकता हैं । इसलिए मैंने परामर्श लेने के लिए उस दिन अपने काम से छुट्टी ले ली । मैं उस दिन प्रातः काल ही उठ जाता हूं और जल्दी से सब काम निपटा कर फ्री हो जाता हूं ।
इसके बाद में अपना पहचान पत्र लेकर अस्पताल जाता हूं ....
मैं जैसे ही अस्पताल के पास पहुंचता हूं तो देखता हूं कि हां सच में कैंप लगाया गया है । काफ़ी लोग नजर आ रहे थे । मैं थोड़ा डरा सहमा हुआ था , मन में कुछ घबराहट भी हो रही थी । नई जगह थी वो मेरे लिए नए नए लोग थे , सभी के सभी ऊचाने घराने के जान पड़ रहे थे । मैं उनके बीच अपने आप को काफी अकेला महसूस कर रहा था । बिखरे हुए बाल थे मेरे कपड़े भी ठीक से साफ नहीं थे। मेरे जूतों का रंग सफ़ेद था , मगर मैल इतना लगा हुआ था कि वो काले नजर आ रहे थे । मुझे अपने आप में ग्लानि की अनुभूति सी हुईं । मगर मैं जिस काम के लिए आया था उसे तो पूरा करना ही था । यही सोच कर मैं आगे बड़ा और दरवाजे पर खड़े गार्ड से जाकर मिला । मैने उससे पूछा जो आज फ्री कैंप का आयोजन हो रहा हैं वो कहां हो रहा है इस अस्पताल में । ( अस्पताल काफी बड़ा था ) गार्ड ने मुझे पहली मंजिल पर जाने को कहा , और कहा की वहा जाकर सबसे पहले रिसेप्शन में बैठे व्यक्ति से मिलो वो आपको बताएंगे । मैंने गार्ड को शुक्रिया कहा और पहली मंजिल की ओर चल दिया । पहली मंजिल पर पहुंच कर मैने अस्पताल का नजारा देखा ।( अस्पताल की खूबसूरती की तारीफ़ करने का मन तो खूब कर रहा हैं मगर ना जाने कितने निर्दोष व्यक्तियों की जान लेकर बनी है )
फिर मैं रिसेप्शन की ओर गया और वहां बैठे व्यक्ति से मिला मैने उन्हें अपने कूल्हे के दर्द के बारे में बताया और कहा की मुझे डॉक्टर से मिलना , मुझे अपने दर्द के बारे कुछ परामर्श लेना हैं । उन्होंने कहा कि डॉक्टर तो अभी नहीं हैं वो शाम को 5 बजे आयेंगे या सुबह 10 बजे आयेंगे । मैंने सोचा कैंप तो सिर्फ आज लगा हैं , इसलिए कल आने का तो कोई फायदा नही । फिर मैंने उनसे कहा कि कैंप तो आज लगा है क्या कोई और डॉक्टर नहीं है । उन्होंने कहा वैसे तो डॉक्टर 1 हजार रुपए फीस का चार्ज करते हैं । आप कहिए तो में किसी डॉक्टर से आपका अपॉयमेंट फिक्स करवा देता हूं । मैंने कहा यदि मैं पैसे पहले दे दूं , तब फ्री कैंप का क्या मतलब रह जायेगा । मुझे मुफ्त में परामर्श चाहिए जिसका आज आप लोगों ने आयोजन किया हैं । वैसे में इस तरह की कई बार फीस दे चुका हूं , और अनेकों जगहों पर इलाज भी करवा चुका हुं । मगर मुझे कोई आराम नहीं मिला । इसलिए अब में बिना परामर्श के एक रुपया भी खर्च नहीं कर सकता हूं । तब उन्होंने कहा आप ग्राउंड फ्लोर पर जाइए और वहा एक डॉक्टर से मिलिए । मैंने कहा ठीक है ।
उन्होंने मेरे साथ एक लड़के के लिए भेज दिया और कहा उन्हें उन डॉक्टर के पास ले जाओ । वो मुझे उनके पास ले गया । मैंने उनसे अपनी समस्या कहीं उन्होंने कहा आप बेसमेंट में जाइए और उक्त नाम के डॉक्टर से मिलिए । मैं और नीचे चला गया । मगर अब मन में पहले से ज्यादा घबराहट होनी लगी थी । और साथ में डर भी लग रहा था मगर में हिम्मत करके नीचे गया और रिसेप्शन में बैठे एक अन्य व्यक्ति से मिला । मैने उन्हें डॉक्टर का नाम बताया और कहा की मुझे इनसे मिलना हैं । उन्होंने पूछा आपको यहां किसे भेजा हैं । मैंने कहा में पहली मंजिल से आया हूं मुझे रिसेप्शन में बैठे उक्त व्यक्ति ने भेजा हैं ।
उन्होंने पूछा कहिए क्या काम हैं , मैने फिर तीसरी बार अपनी समस्या बताई । उन्होंने मेरा नाम नंबर नोट किया और उक्त डॉक्टर को फोन किया । मेरे बारे में बताया । डॉक्टर ने मिलने के लिए बोल दिया । रिसेप्शन में बैठे व्यक्ति ने मुझसे कहा की आप 11सौ रुपए जमा करवा दीजिए और आप डॉक्टर से मिल लीजिए । मैंने सोचा डॉक्टर से बात करने के लिए हजार रुपए , ये कैसा डॉक्टर हैं । ये रिश्वत का नाम ना लेकर फीस के नाम हजार रुपए मांग रहे हैं ।
जबकि आज तो मुफ्त कैंप भी लगा हैं । मैंने उस व्यक्ति से कहा कि मुझे पहले डॉक्टर से परामर्श लेना इसके बाद में तय करूंगा कि मुझे यहां सही इलाज मिल सकता है या नहीं तभी मैं इलाज में नाम पर कोई धनराशि खर्च करूंगा । सिर्फ बात करने के लिए मैं हजार रूपए नहीं दे सकता हूं । तब उन्होंने कहा कि यह हमारे डॉक्टर की फीस हैं मिलने की । आपको वह पहले देनी होगी जो की अनिवार्य हैं । तभी आपकी किसी समस्या का समाधान होगा । मैंने कहा मैं किसी भी प्रकार भी धनराशि देने का इच्छुक नहीं हूं आप अपने डॉक्टर से कहिए आज मुफ्त परामर्श कैंप का आयोजन किया जा रहा हैं । आज तो मुफ्त में परामर्श दीजिए । तब उन्होंने डॉक्टर को फिर से फोन किया और मुफ्त परामर्श के बारे में पूछा , डॉक्टर ने साफ मना कर दिया । उस व्यक्ति ने मुझे डॉक्टर की इस बात से अवगत कराया । मैंने कहा ठीक है कोई बात नहीं । उन्हें मैने धन्यवाद कहा और बाहर आ गया ।
मैंने मन में सोचा दर्द इतना भी नासूर नहीं है की हम जी ना सकें ।
चल सकते है काफ़ी है चलते चलते ही मंजिल को पाना है ।।
अशोक कुमार जी ने कहा है कि –
वो आश्वस्त था कि न्याय मिलेगा ज़रूर ,उसने फीस पूछी और इल्जाम कबूल कर लिया ।।
बस यही हाल मेरे साथ हुआ मैने फीस पूछी
और दर्द से समझौता कर लिया ।।
मेरी कहानी से किसी भी प्रकार की शियाकत या समस्या होने की दशा में आप मुझे कमेंट करके बताएं । और यदि अच्छी लगे तो हमें आप अपने विचार जरूर बताएं । हम आपके सभी प्रकार के कॉमेंट का सम्मान करेंगे हैं ।
कहानी – विनय कुमार झा
2 Comments
❣️❤️
ReplyDeleteशानदार
ReplyDelete