भारत के बाहर भारत की आवाज़
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Photo– dhsg sagar |
आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत स्वाधीनता संग्राम का मूल्यबोध एवम् व्याख्यानमाला का आयोजन डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में वर्चुअल सेमिनार माध्यम से एक जिसका मुख्य विषय था
भारत के बाहर , भारत की आवाज़ ।।
आज के सेमिनार की अध्यक्षता कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने की । एवम् मुख्यवक्ता प्रो. मोहन कांत गौतम रहें । प्रो. संजय शर्मा ने आज के सेमिनार का संचालन किया ।
प्रो. नीलिमा गुप्ता जी ने अपने उद्बोधन में राष्ट्र धर्म की बात कही कि हम सबसे पहले भारतीय हैं । हमें जाति धर्म से हटकर देश में कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की सलाह दी और कहा कि ये हमारा संबेधनिक कर्त्तव्य भी हैं ।
आज के मुख्य वक्ता प्रो. मोहन कांत गौतम ने कहा की जो लोग आज भारत के बाहर कहीं न कहीं उनमें भारतीय संस्कृति का अंश विद्यमान हैं जो किसी ना रूप में अपने देश को याद करते हैं । उन्होंने कहा एक शेर के माध्यम से अपनी देश के लिए करीबी व्यक्त कि
याद रखो तो दिल के पास है हम भूल जाओ तो फैसले बहुत हैं ।
इस प्रकार उन्होंने भारत के बाहर भारत की आवाज एक उत्कृष्ठ उदहारण दिया है । जो लगातार कई वर्षो से भारत के बाहर होने के बाबजूद भी अपने दिल में भारत की आवाज संजोए रखे हुए हैं । उन्होंने एक ओर शायराना अंदाज में शेर पढ़ कर अपनी देश प्रति लगन प्रस्तुत की ।
मुझे हमेशा अपनी यादों के साथ रहने दो ।
ना जाने किस गली में नींद की शाम आ जाए ।।
उनका कहना है कि हम भारत से बाहर कहीं भी रहें मगर अपने वतन की खुशबू हमारे मन से कभी अलग नहीं होती । उन्होंने एक अपने व्याख्यान में एक महत्वपूर्ण बात का जिक्र किया कि जो लोग सर्व प्रथम भारत से बाहर गए भले भारत उन्हें भूल गया हों मगर उन्होंने अपने भारत को अपने अंदर कही न जीवित रखा रखा है ।
रिपोर्ट – विनय कुमार झा
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