बीतों दिनों से हिजाब पहनने का मामला तेज़ी पकड़ रहा हैं । लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया । कई बुद्धिजीवियों ने इस अपनी अपनी राय दी हैं । उनका मानना है हमें संविधानिक अधिकार प्राप्त है कि हमें क्या पहनना है क्या ओढ़ना हैं । भाजपा दल के कई समर्थको ने इसकी कड़ी निन्दा भी है । और कहा है कि हिजाब पहनना कोई अधिकार नहीं हैं उन्हें विद्यालय के नियमों का पालन करना चाहिए और स्कूली ड्रेस में ही विद्यालय आना चाहिए । तत्काल विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने इस अपनी प्रतिक्रिया भी है और कहा की वो स्वतंत्र हैं अपने पहनावा को लेकर ।
*मामला क्या है*
दरअसल यह मामला कर्नाटक के उडुपी शहर का है जहां कई शिक्षण संस्थानों ने हिजाब और बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया है । जिससे पिछले दिनों में छात्राओं में रोष देखने को मिला है । छात्राओं ने अपने मानव अधिकारों का सहारा लेते हुए कहा कि हम कुछ भी पहनने के लिए स्वतंत्र हैं ।
*प्रतिक्रियाएं*
इन्हीं छात्राओं का पक्ष रखते हुए कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी कि महिलाओं को अपने हिसाब कपड़े पहनने का अधिकार है और उन्हें यह अधिकार संविधान से मिला है । आगे उन्होंने लिखा कि चाहे वो बिकनी हो घूंघट हों , जींस या फिर हिजाब हों ये उन्हें खुद तय करना है कि उन्हें क्या पहनना है । इस प्रकार उन्होंने महिलाओं का उत्पीड़न बंद करने को कहा ।
AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि लड़कियां कई सालों से हिजाब पहनती आ गई हैं , अचानक उनको इन पर रोक लगाने का ख्याल कैसे आ गया । एक अन्य जगह बयान में उन्होंने कहा कि इंशा' अल्लाह एक दिन एक हिजाबी प्रधानमंत्री बनेगी ।
वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने हिजाब विवाद के मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि, हिजाब इस्लाम धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं है । उन्होंने आगे कहा कि यदि ऐसा है तो आप मुझे बताएं मैं वो पहला व्यक्ति रहूंगा आपके पक्ष में जो हिसाब पहनने पर आपकी और से वकालत करूंगा ।
*और अधिक बबाल*
यह मामला उस वक्त गरमाया जब हिंदू छात्र एवम् छात्राओं ने भगवा पहन कर स्कूल या कॉलेज में दाखिला लिया । लगातार हो रहे विरोध को देखकर शासन भी हरकत में आ गया और मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्यवाही शुरू कर दी ।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस मामले को लेकर कहीं इसकी कड़ी निन्दा की जा रही हैं तो कहीं नकाब व बुर्के प्रतिबंध लगाने की बात कही जा रही हैं ।
*बाहरी प्रतिक्रिया और जवाब*
मामला तेज़ी से गर्माते देख पाकिस्तान भी आगे आ गया और उसने भारत के आंतरिक मामलों में एक बार फिर दखल दी । मगर इस बार भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि हमारे आंतरिक मामलों में उलझे , ओवैसी ने कहा कि हमारे मामलों में टांग ना अड़ाए वरना ज़ख्मी हो जायेगी ।
*हाल ही में* आए एक वायरल वीडियो में देखा गया कि एक मुस्लिम छात्रा संस्थान में कर रही थी तभी कुछ भगवा पहने उग्र वादियों ने छात्रा का घेराव किया और उसका पीछा किया । जिसके साथ जय श्री राम की नारे बाजी भी की । छात्रा ने अपने बचाव में साहस दिखाते हुए दो बार अल्ला हु अकबर कहा । शिक्षा के लिए अब धार्मिक मुद्दों से जोड़ कर देखा जा रहा हैं । छात्रा ने अपने बयान में कहा कि उसके पहनावे से संस्थान के लिए कोई ऐतराज नहीं है जबकि बाहरी लोगों ने इसका तमाशा बनाया हुआ हैं । असल में सोशल मीडिया इन मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं । किसी की मान मर्यादा इज्ज़त या बेइज्जती करने में क्षण भर भी नहीं लगता हैं ।
ऐसी स्थिति को देखते हुए कॉलेज प्रबंधन समिति ने अगले नोटिस तक कॉलेज को बंद रखने के आदेश दिए हैं । इसके साथ प्रशासन ने भी सख्ती दिखाई है और विद्यालय परिसर के तकरीबन 300 मीटर के दायरे तक किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन करने पर रोक लगाई हैं ।
यह मामला दिनों दिन रफ्तार पकड़ता जा रहा हैं , हालांकि कर्नाटक कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार है । जिससे यह तय हो जायेगा कि शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड निर्धारित किए जाएं , या हिजाब को पहनने की अनुमति दी जाए ।
यदि आज हम अपने सामने ऐसी वारदात को देखते तो ज़रूर हमारे मन में कई सवाल खड़े होते हैं , यहां तय करना मुश्किल होता हैं कि क्या गलत और क्या सही है । यदि हम बात करें अपनी भारतीय संस्कृति की तो हमारा देश सदियों से विविधता में एकता की मिसाल रहा हैं । जहां एक और हमारी संस्कृति से छेड़छाड़ का मामला सामने आता है तो वहीं दूसरी ओर किसी संस्थान की मान प्रतिष्ठा का मामला सामने आता है । अब यह तय आपको करना है क्या उचित है और क्या अनुचित ।
*विनय कुमार झा*
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