कविता वो सच्चाई की मूरत वो चारित्र बेदाग हैं ।
वो मुहब्बत की शीत है
वो नफरत की आग है ।।
वो सच्चाई की मूरत है ,
वो चरित्र बेदाग हैं ।।
वो कवि की कल्पना है ।
वो परछाई सा अपना हैं ।।
वो राधा के जैसी प्रीत है ,
वो मीरा के जैसी गीत है ।।
वो समुंदर की गहराई हैं ।।
वो आकाश की ऊचाई हैं ।।
वो रंगों से रंगी फ़ाग है ।।
वो तानसेन की राग है ।।
वो सच्चाई की मूरत हैं ,वो चरित्र बेदाग हैं ।। 1 ।।
वो फूलों में कमल हैं ।
वो महलों में ताज महल हैं ।।
वो गालिब की ग़ज़ल है ।।
वो हसीं दुनियां का कल है ।।
वो तारों में चांद है ।।
वो हर शक्स की पहचान है ।।
वो खूबसूरत शाम हैं ।।
वो मुहब्बत का पैग़ाम है ।।
वो हर आरजू हर अरमान है ।।।
वो जहां में फिर भी गुमनाम है ।।
वो फूलों से भरा बाग है ।।
वो खुशियों का अनुराग है ।।
वो सच्चाई की मूरत हैं ,वो चरित्र बेदाग हैं ।। 2 ।।
वो शीत में तपन है ।
वो गर्मी की छांव है ।।
वो चीखों का शहर हैं ।।
वो किलकारियों का गांव है ।।
वो बिछड़ों की मंजिल हैं ।।
वो हर राही को हासिल हैं ।।
वो हर दुआ में शामिल हैं ।।
वो हर बुराई का कातिल हैं ।।
वो तन्हाई का सुकून हैं ।
वो हारे हुए का जुनून है ।।
वो रेगिस्तान में बरसात हैं ,
वो बिछड़ों की मुलाकात है ।।
वो सच्चाई की मूरत हैं ,वो चरित्र बेदाग हैं ।। 3 ।।
वो हर शक्स का ख्वाब है ।
वो जिसे हासिल वह नबाव है ।।
वो हर आंखों की रोशनी हैं
वो हर मन की कामिनी हैं ।।
वो दिल में बसी धड़कन हैं
वो हर दांपत्य की दामिनी है ।।
वो आंखों का काजल हैं ।
वो पैरों की पायल हैं ।।
वो गीतों की सरगम है ।।
वो पायल की छमछम है ।
वो हर साथी का साथ हैं ।
वो हर तपस्वी का वैराग्य हैं ।।
वो सच्चाई की मूरत हैं ,वो चरित्र बेदाग हैं ।। 4 ।।
वो नींदों की रानी है ।।
वो सांसों की रवानी हैं ।।
वो जिंदगी की धूप हैं ,
वो सावन का भी रूप हैं ।।
वो चंदन की खूसबू हैं ।
वो दारिया सी चूप हैं ।।
वो हवाओं सी मंद हैं ।
वो तूफानों के संग है ।।
वो फूलों सी नाजुक हैं ।
वो पत्थरों का भी अंग हैं ।।
वो चंचल चांदनी रात हैं ।
वो मुहब्बत का जज्बात है
वो सच्चाई की मूरत हैं ,वो चरित्र बेदाग हैं ।। 5 ।।
वो तितलियों सी रंगीन हैं ।।
वो फूलों सी हसीन है ।।
वो ख़ुदा है वो भगवान हैं ।।
वो गीता है वो कुरान है ।।
वो मंदिर है वो मस्जिद हैं ।
वो धर्म हैं वो ईमान हैं ।
वो हर शक्स की तकदीर हैं ।
वो हर आशिक की तस्वीर हैं ।।
वो मनचली रांझे की हीर हैं ।।
वो हर इश्क़ की जुबानी है ।।
वो हर शक्स की कहानी है ,
वो वफ़ा हैं वो फरेप हैं ।।
वो जन्नत है वो अभिशाप है ।।
वो सच्चाई की मूरत हैं ,वो चरित्र बेदाग हैं ।। 6 ।।
कविता : विनय कुमार झा
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