2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता का स्वरूप एवम् विभिन्न राजनीतिक दलों का दृष्टिकोण

 

2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता का वर्तमान स्वरूप, 

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हालांकि अभी लोकसभा चुनाव में एक वर्ष की अवधि शेष हैं, मगर सियासी हलचल अभी से तूल पकड़ने लगी हैं। 17वीं लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाई थी। लोकसभा में 543 सीटें हैं जिनमें बहुमत साबित करने के लिए 272 सीटों का होना अनिवार्य हैं। कांग्रेस ने कर्नाटक विधान सभा चुनाव जीत कर बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

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हाल ही में भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन होना है। 28 मई की तारीख  में उद्घाटन समारोह होना तय हैं। विपक्ष में उद्घाटन को लेकर लगातार विरोध जारी हैं। विपक्ष का कहना हैं कि नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक सर्वोच्च पद आसीन माननीय राष्ट्रपति महोदया के कर कमलों द्वारा होना चाहिए। इसी मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने ये जनहित याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई संसद का उद्घाटन करने के लिए लोक सभा सचिवालय और भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका ख़ारिज करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई और कहा कि हम आप पर जुर्माना क्यों ना लगाएं? इसका जवाब दें।

 

आइए हम उन दलों की ओर रुख करते हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर की और 2024 के चुनाव में अपनी एकजुटता का परिचय दिया।

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 कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “मोदी सरकार ने बार-बार मर्यादा का अपमान किया है। इस बात से कांग्रेस का रुख साफ है। फिलहाल बीजेपी के सामने कांग्रेस एक मजबूत पार्टी बनकर उभरी हैं।आम आदमी पार्टी पर लगातार ईडी और सीबीआई की जांच को लेकर काफ़ी प्रताड़ित किया गया हैं। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अपना रुख भी कर दिया हैं, बीते कुछ वर्षों में ममता बनर्जी ने बीजेपी पर तीखे स्वर में हमला बोला है। इसके अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुआ केरल कांग्रेस, विरुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट , AIMIM, इंडियन मुस्लिम लीक इत्यादि पार्टियों ने विरोध किया हैं। तय हैं यह सभी पार्टीयां लोक सभा चुनाव में एक साथ में आएगी।

 

अब हम उन दलों की बात कर लेते हैं जो सत्ता पक्ष में मजबूती के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं।

 

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बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी,  अपना दल (सोनी लाल) रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक आजसू (झारखंड) मिजो नेशनल फ्रंट, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजप, बीएसपी, जेडीएस, शिरोमणि अकाली दल भी शमिल हैं।

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यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जो दल अभी एकजुट नज़र आ रहे हैं वो आम आदमी लोकसभा चुनावों में एक साथ नज़र आयेंगे।

 

आइए अब उन राजनीतिक पार्टियों की बात करते हैं जो जिन्हें राष्ट्रीयता का दर्जा प्राप्त हैं, साथ उन पार्टियों की बात भी करेंगे जो बीते वर्षों में राष्ट्रीयता का दर्जा खो चुकी हैं।

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चार राज्यों में मान्यता प्राप्त पार्टी को स्वतः ही एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त हो जाती है। राज्य स्तर की मान्यता के लिए चुनाव आयोग में पंजीकृत दल को निम्न में किसी एक शर्त को पूरा करना होगा:

दल को विधान सभा चुनाव में कम से कम कुल सीटों की 3% सीटें या 3 सीटें जीतनी होंगी।

दल को राज्य में निर्धारित लोक सभा सीटों में प्रत्येक 25 सीटों पर एक या कम से कम एक या उसके अंश पर जो राज्य में निर्धारित हो।

दल को लोक सभा /विधान सभा के चुनाव में वैध मतों का कम से कम 6% मत प्राप्त हों ,तथा लोक सभा में कम से कम एक सीट और विधान सभा में 2 सीटों पर विजय प्राप्त की हो।

यदि दल ने लोक सभा और विधान सभा में कोई सीट न जीती हो लेकिन यदि उसने लोक सभा /विधान सभा चुनाव में वैध मतों के 8% मत हासिल किये हों।

 

वो दल जिन्हें राष्ट्रीयता का दर्जा प्राप्त हैं –

 

भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, इंडियन नेशनल कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी, आम आदमी पार्टी।

 

वो दल जो राष्ट्रीयता का दर्जा खो चुके हैं –

 

अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी।


Article - Vinay Kumar Jha

Source - News Portal and ECI 


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