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उड़ीसा के बालासोर में ट्रेन हादसा बेहद ही डरावना हैं, दुर्घटना 2 जून शाम सात बजे के आसपास हुई। एक यात्री ट्रेन और एक मालगाड़ी दोनों आमने सामने भिड़ गई। टक्कर इतनी भयानक नहीं थी कि ज्यादा जानमाल की हानि हो। मगर यात्री ट्रेन टक्कर के बाद पास के दूसरे ट्रेक पर शिफ्ट हो गई।
तभी अचानक उसी दूसरे ट्रैक पर एक हाई स्पीड यात्री ट्रेन आई। इस ट्रेन की रफ्तार इतनी अधिक थीं कि इसके टकराने से मौजूद दोनों ट्रेनों सहित तीनों ट्रेनों परखच्चे उड़ गए।
भारत के इतिहास में ऐसी दुर्घटना पहले कभी नहीं हुई, एक साथ तीन ट्रेनों का टकराना भारत के इतिहास का काला दिन बना गया हैं। इसके पहले 6 जून 1981 को बिहार में तूफान के चलते एक ट्रेन नदी में गिर गई थी, तब 800 लोगों की मौत हुई थी। हालंकि इस दुर्घटना में प्रकृति को जिम्मेदार ठहराया जा सकता हैं मगर आज की ट्रेनों में एक विशेष सुरक्षा कवच लगा हुआ हैं, इस कवच को लगाने एवं संचालित करने का खर्च प्रति किलोमीटर 50 लाख रुपए है। इससे 160 किमी रफ्तार की ट्रेन भी रुक जाएगी यदि उसकी पटरी पर कोई दूसरी ट्रेन खड़ी है। क्योंकि यह मूवमेंट अथॉरिटी के कंटीन्युअस अपडेट के सिद्धांत पर काम करती है। इस प्रणाली में हाई फ्रिक्वेंसी के रेडियो कम्युनिकेशन का प्रयोग किया गया।
अब तक मिली जानकारी के अनुसार लगभग 238 लोग अपनी जान गवां चुके हैं और एक हज़ार से अधिक लोगों के घायल होने की सूचना प्राप्त हुई हैं।
आज सुबह रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव दुर्घटना का जायजा लेने घटना स्थल पहुंचे।
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दुर्घटना का जायज़ा लेते रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव |
उन्होंने कहा कि हम पीड़ित को हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इस दुर्घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेल दुर्घटना के हालात की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की। मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घायल पीड़ितों से मिलने जाएंगे।
अब बात करते हैं जरा विपक्ष की....
इस दुर्घटना को लेकर विपक्ष हमेशा की तरह सत्तापक्ष पर अपना हमलावर रुख अपनाता दिख रहा हैं। हालांकि सभी ने पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। विपक्ष ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से इस्तीफे की मांग की हैं। इस पर अश्विनी ने पलटवार करते हुए कहा कि इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरी पीड़ितों को राहत पहुंचाना हैं। जो मुझे करना चाहिए वो मैं कर रहा हूं।
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