जानें कब नौका आयेगी।
सूरज ढलने पे आया हैं,
जानें कब चांदनी आएगी।।
मंद मंद पवन मुस्काए,
चारों दिशाओं में जैसे
मिट्टी की खुशबू बिखरी जाएं।।
नागिन सी वो लहरें चलती,
मन को अति हर्षित करती।
एक पहर के बीतने पर
मानो चंद छन् ही बीते हो।
मन अति विभोर होता,
जैसे जन्नत में हम जीते हो।।
मंद मंद गति से चलती
नौका हमारे करीब आई,
मानो ऐसा लग रहा जैसे
मां नर्मदा खुद लेने आई।।
तब हम होते नौका में सवार,
चलो चलते हैं हम नर्मदा पार।
लाल सूरज की किरणे,
छूकर मचलती लहरों को,
गगन चुंबी प्रकाश बिखेरे।।
छाई लालिमा चारों दिशाओं में।
चहकती चिड़ियों के शोर हैं,
सांझ ढले वो लौटते अपने बसेरों में।।
अब मन में डर ने दस्तक दी,
जब नौका बीच भंवर में पहुंची।
हिचकोले जब नौका लेती,
जैसे तन से जान खिसकती।।
धीरे से मैंने खुद को संभाला,
देख लहरों को मैंने,
मन से डर को बाहर निकाला।
बनना मिटना सीखा उनसे
और सफ़र का लुप्त उठाया।।
नौका हमारी जब पार आई,
हमनें मां नर्मदे की आशीष पाई।
तब तन में उभरा सुकून बेशुमार,
जब हमनें किया नर्मदा पार।।
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