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सावन के आने से
दिल के जल जाने से
फ़िर पुरानी यादें आने से
मैं आंखें बंद कर लेता हूं
हां मैं डरता हूं।।
तूफानो के उठने से
आँधियों के चलने से
जोरो की बारिश होने से
अक्सर में भीग जाता हूं
हां मैं डरता हूं।।
मचलती हवाओं से
बिजली के तावो से
बदल के फट जाने से
मैं खुद को खुद में छुपा लेता हूँ।
हां मैं डरता हूं।।
रात के अँधेरे से
कीट पतंगों के घेरे से
सम्माओं के बुझ जाने से
छन से मैं चौंक जाता हूं
हां मैं डरता हूं।।
किसी से बहुत प्यार से
विश्वास तोड़ते यार से
अपनों की ऊंची आवाज से
मैं अपना दिल तोड़ लेता हूं
हां मैं डरता हूं।।
अनजानी राहों से
मंजिल भरी भटकती निगाहों से
घर बाहर के तानों से
मैं अपना घर छोड़ जाता हूं
हां मैं डरता हूं।।
शहर की ऊंची इमारतों से
वाहनों के शोर से
फिजा में फैले ज़हर से
मैं डर डर कर सांस लेता हूं
हां मैं डरता हूं।।
फैक्टरियों के धुएं से
गिरते दरख्तों से
तडफ़ती तितली से
उसे छूने से मैं कांप जाता हूं
हां मैं डरता हूं।।
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