UCC – Uniform Civil Code अथवा समान नागरिक संहिता इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के पर्सनल लॉ को एक समान करना है। जो किसी भी प्रकार के भेदभाव के साथ लागू होगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में UCC लागू करने के पक्षधर हैं। वो चाहते हैं कि भारत के प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक जैसा कानून हो। चाहे वो किसी भी वर्ग या समुदाय का हो। दरअसल अभी तक कुछ धार्मिक मान्यताओं के आधार पर कानून की अलग अलग व्यवस्था की गई थी। UCC लागू करने के बाद शादी, तलाक और उत्तराधिकारी इत्यादि मामलों में एक ही कानून लागू होगा, इन मामलों के लिए अलग से कोई अदालत नहीं होगी। समान नागरिक संहिता का जिक्र प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश की एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए किया। जहां एक तरफ इस कानून को खूब समर्थन मिल रहा हैं वहीं दूसरी ओर विरोध प्रदर्शन भी हो रहा हैं। संविधान के भाग पांच में अनुच्छेद 245 से 255 तक राज्य सरकारों को कानून बनाने एवम् लागू करने का दर्जा प्राप्त हैं। यह कानून राज्य विधायिका द्वारा बनाए जाते हैं। इसलिए विभिन्न राज्यों की भौगोलिक स्थिति के आधार भी कानून बने हुए हैं।
फिलहाल हिंदू और मुस्लिम पर्सनल लॉ बने हुए हैं जो उनकी धार्मिक मान्यताओं के आधार उन्हें आज़ादी देते हैं। मगर UCC लागू होने के पश्चात सभी समान होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि UCC लागू होने से भारत की विभिन्नता वाली संस्कृति को आघात लग सकता हैं। मगर समर्थकों ने कहा कि इसे लागू होने के पश्चात सभी को समान लैंगिग के आधार पर देखा जाए। फिर धर्मों के आधार पर भेद भी खत्म हो जाएगा। हो सकता हैं कि समान नागरिक संहिता खानपान रहन सहन और पहनावे इत्यादि जो धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं इन्हें भी प्रभावित करें।
यह समान धार्मिक संहिता ना होकर समान नागरिक संहिता हैं, जानकारों का कहना हैं कि धार्मिक मान्यताओं में ज्यादा बदलाओं नहीं आयेंगे। यदि UCC को और अधिक गहराई से समझना हैं तो हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और पारसियों के पर्सनल लॉ को समझना होगा कि उन्हें किन किन धार्मिक मान्यताओं पर आज़ादी मिली हुईं हैं अथवा दूसरे समुदाय से कितना भिन्न हैं।
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