क्या विद्यालयों में यौन शिक्षा अनिवार्य विषय होना चाहिए! सहित, OMG 2 रिव्यू!



 मैं हमेशा से यौन शिक्षा का पक्षधर का रहा हूं। मैंने जब जब अपने दोस्तों, सहपाठियों और संबंधियों में यौन शिक्षा पर बात की तब तब उन्होंने मुझे अश्लील कहकर दुत्कार दिया। 


लोग यह भूल गए कि वो जिस शिक्षा पद्धति का अनुसरण कर रहे हैं, वह शिक्षा पद्धति असल में हमारी हैं ही नहीं। आज मैंने OMG 2 फ़िल्म देखी, जिसमें पंकज त्रिपाठी का एक संवाद हैं, वो कहते हैं जब दुनियां करवट बदल रही थी तब हम दौड़ रहें थे। 


यह सत्य हैं कि हमारा देश कभी सोने की चिड़ियां कहा जाता था। क्योंकि हम अपने आप में परिपूर्ण थे। हमारी शिक्षा वसुदेव कुटुंबकम वाली थी। कामसूत्र दुनियां की पहली यौन संहिता हैं। जो हमारे देश में लिखी गई। 


यौन शिक्षा ना होने की वजह से कई नौजवानों की जिंदगियां बर्बाद हो जाती हैं। किसी बीमारी पर खुलकर बोल नहीं पाते हैं। ना जानें हम इतने शिक्षित कैसे हो गए कि अपने ही प्राचीन ग्रंथों को अनदेखा करके आधुनिक सभ्यता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। और अपनी ही संस्कृति को बुरा भला कह रहे हैं। 


अजंता की गुफाएं, खुजराहों के मंदिर इस बात का प्रमाण है कि वो आधुनिक ना होकर सभ्य थे। आधुनिकरण ने हमें शर्मिला बना दिया। एडल्ट इंटरटेनमेंट वेबसाइट पोर्नहब की इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 89 फीसदी लोग पोर्न देखते हैं। 


इसका क्या कारण हैं? अपनी वासना को और अधिक उत्तेजित करने के लिए या वीर्य दोहन कर खुद को मानसिक लाभ पहुंचाने के लिए? 


कुल मिलाकर यहीं कहूंगा कि विदेशों में जो मोर्डनालिटी छाई हुई हैं, जिसे हम केवल महसूस कर सकते हैं। मगर उसे अपना नहीं सकतें। क्यों सच तो यह है कि आपने कभी प्राचीन ग्रंथों को पढ़ना तो दूर छुआ भी नहीं हैं। 


आज कुछ ऐसे वीर योद्धा पैदा हो गए हैं हो हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति की बड़ी बड़ी बाते करते हैं। खुद को भारतीय संस्कृति का उपासक मानते हैं। मगर सच तो यह है कि उन्हें अपने ही धर्म और संस्कृति का घं’टा भी ज्ञान नहीं हैं। 


अपने मतलब के लिए और खुद को स्वयंभू साबित करने के लिए चल देते हैं धर्म की पताका उठा कर, धर्म की रक्षा करने के लिए। जो धर्म पूर्णतः शिक्षा पर आधारित हैं उसे कुछ मूर्ख संत हिंसा का धर्म भी बताते हैं। 


जिन्होंने हमारे महापुरुषों जैसे राम, के जीवन से तनिक भी शिक्षा नहीं ली है वो अपने आप को राम का बड़ा परम भक्त मानते हैं। मेरी नज़र में राम जैसा पवित्र नाम लेने की उनकी औ‘का’त नहीं हैं। अधिक जानकारी के लिए वेद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथ पढ़े।


~ विनय कुमार झा।

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