सुनो……मैं गांव जा रहा हूं।।

 सुनो…, मैं गांव जा रहा हूं,

तुम्हारी कुछ यादें,

और तस्वीरें साथ ले जा रहा हूं।।

तुम्हारे साथ बिताए लम्हें 

मेरे जीवन के अनमोल क्षण थे,

उनमें से तुम्हारी प्यारी मुस्कान,

मैं साथ ले जा रहा हूं।।

सुनो…, मैं गांव जा रहा हूं।।१।। 

जब कभी तुम्हारी याद 

मुझे सताएगी।

जब बेचैनी हद से

गुजर जायेगी।।

ख्यालों में जब जिक्र 

तुम्हारा आएगा,

मेरी तन्हाई से जब 

तुम्हारा नाम टकराएगा।

टूट जायेंगे सारे भरम

तभी सुकून मिल पायेगा। 

अपने हिस्से की 

थोड़ी सी खुशी देकर,

तुम्हारे सारे गम

मैं साथ ले जा रहा हूं।।

सुनो…, मैं गांव जा रहा हूं।।२।।

पता नही कब मुलाकात होगी,

जाने फिर कब बरसात होगी,

अभी तो गमों की लंबी रात हैं,

ना जाने कब सुबह और बात होगी।।

मन बहलाने को

दिल सहलाने को

तुम्हारी कुछ आवाज़,

मैं कैद करके ले जा रहा हूं।।

सुनो…, मैं गांव जा रहा हूं।।३।। 

तुम अपना ख्याल रखना,

खुशी के पलों को आबाद रखना

हम दुआओं में,

तुम्हारी खुशियां मांगेंगे।।

तुम दुआओं में हमें याद रखना।।

दूर होकर भी 

पास होने का एहसास रखना।।

दिल के किसी कोने में 

मुझे आबाद रखना।। 

तुम्हारी खुशबू मैं 

अपनी सांसों में 

छुपा कर ले जा रहा हूं।। 

सुनो…, मैं गांव जा रहा हूं।।४।।


This poem of mine is dedicated to my friend Simmo.

Poem - Vinay Kumar Jha 

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