वो कुरान की आयत में गीता का श्लोक हूं,

सुनो...🤌🏻

 मैं जब भी माँगूँगा, 

 तुमसे तुम्हारा वक्त माँगूँगा, 
कब,कहाँ,कैसे हो इसका ज़िक्र माँगूँगा, 
वक्त-बेवक्त कॉल करने का हक़ माँगूँगा, 
बिन बात के मेरे लड़ने पर तुम्हारा सब्र माँगूँगा, 
 अलसायी-सोयी सी तुम्हारी तस्वीर माँगूँगा, 
 मैं जब भी माँगूँगा... तुम्हें- तुमसे थोड़ा और माँगूँगा...! 🤌🏻♥️

 (अज्ञात) 

अब सूनी सूनी राहें है,
भीगी हुई सी निगाहें हैं,
लब जुवां खामोश हैं, 
सिर्फ़ तन्हाई और आहें हैं।। 
तेरी यादों का भंवर हैं, 
मन भी बेखबर है।। 
टूटती अंगड़ाई है, 
सांसे भी पराई है। 
मुझपे जो असर है 
तेरी चाहत का कहर हैं।। 
बेबसी और मायूसी हैं, 
दिन रात सिर्फ खामोशी हैं।।
तन्हा अब ये बाहें हैं,। 
भीगी हुई सी निगाहें हैं,।। 
अब सूनी सूनी राहें है,।। 
वह कुरान की आयत 
में गीता का श्लोक हूं।।
वो धरा पर मिरी जन्नत 
मैं उसका स्वर्ग लोक हूं।।
अपने हाथों मैंने, 
अपना दिल तोड़ लिया। 
वो किसी और का था, 
उसे उसके हवाले छोड़ दिया।। 
नहीं पड़ेंगे अब इश्क़ की दुनियां में मेरे कदम, 
मैंने उसकी तरफ़ जाने वाले रास्तों को मोड़ लिया।।


 ~ विनय कुमार Bare

Post a Comment

0 Comments

Close Menu