शिक्षा प्रद कहानी — an enlighten story

शिक्षा प्रद कहानी


यह कहानी उस वक्त शुरू होती है जब गांव में पंचायत चुनाव की शुरुआत होती है सरपंच पद के उम्मीदवार घर घर जाकर वोट मांगते हैं और विकास के वादे करते हैं । जो वादे उनकी सोच से बिल्कुल विपरीत होते हैं ।

गांव में सरपंच पद का चुनाव होता है और एक प्रत्याशी को जीत मिलती है और वह गांव का सरपंच बन जाता ।


पात्र परिचय


प्रधान जी – विनय कुमार झा 

लाखन – अंकित विश्वकर्मा 

कैमरा मैन – दीपक पाटिस्कर ।





कहानी के अंश — 


( गांव के मुखिया सरपंच अपने घर पर आराम से लेटे हुए हैं चुनाव जीतने के बाद , तभी गांव का एक सदस्य [लाखन] जो अपनी किसी समस्या से परेशान है वो प्रधान जी के पास उसका निदान पाने के लिए आता है )

लाखन – काय प्रधान जी ओय प्रधान जी 

प्रधान जी – को है ।

लाखन – हम आए प्रधान जी लाखन 

प्रधान जी – हां बोल लाखन का काम है ।

( लाखन घर के अंदर प्रवेश करता है , तभी प्रधान जी कहते है चप्पल बाहर उतार दे , लाखन चप्पल बाहर उतार कर फिर अंदर आता है और अपनी समस्या सुनाता है ) 

लाखन – हम जा के रय है कि.....

( इतना कहते हुए लाखन पास ही रखी कुर्सी पर बैठता है , मगर प्रधान जी उसे वहां बैठने से मना कर देते , और नीचे बैठने के लिए बोलते है ) 

प्रधान जी – हां अब बोल 

लाखन – ( बैठते हुए ) हम जा के रय वो खेत को काम हतो वो करवा देते ।

प्रधान जी – का काम हतो ।

लाखन – वो खेत नपने हतो सो लेखपाल खो बुला लेते ।

प्रधान जी – परसों तो आओ तो लेखपाल ।

लाखन – हमें नी मिलो ।

प्रधान जी – ( चिल्लाते हुए स्वर में ) किते गओ तो ते ।

लाखन – हम घरे हते थे , मगर हमें कोई जानकारी नई ती ।

प्रधान जी – घरे मेने कुआ ( बुलावा) पहुचाई थीं ।

लाखन – कोई नी घर ।

प्रधान जी – अबे का समस्या है तोरी बता ।

लाखन – खेत नपने है , अबे कटाई चल रही हैं सो नप जातो ।

प्रधान जी – अच्छा । रुक में फोन लगा रव ।

( प्रधान जी फ़ोन लगाते हुए लेखपाल के लिए )

प्रधान जी – देख अबे मेने तोरे सामने फ़ोन लगाओ नंबर व्यस्त आ रव ।

लाखन – हव ।

प्रधान जी – ते एक काम कर 15– 20 मिनिट बैठ अवई फिर फ़ोन लगा देत ।

लाखन – हव ।

( 30 मिनिट इंतजार करने के बाद ) 


लाखन – आधा घंटा हो गया प्रधान जी अब फोन लगा लेते उन्हें लेखपाल के लाने 


( प्रधान जी मुंह पर हाथ फेरते हुए उठते हैं )


प्रधान जी – रुक जा एक मिनिट लगा रए फ़ोन ।


( प्रधान जी फ़ोन लगाते हुए , जबकि नंबर फिर से बंद आ रहा था , फ़ोन बंद आने बाबजूद भी लेखपाल से बात करते हुए )


{ नमस्कार लेखपाल साब .......…...... गांव कब आ रहे हो ...............…..कुछ नहीं थोड़ा काम था एक खेत की नपाई होनी थी......................

नहीं हमने 15 मिनिट पहले फोन लगाया था लाइन व्यस्त आ रही थी......................…..हां हां वो हम समझ रहे हैं........... तो ठीक है एक काम करो यह किसान है मेरे गांव का इसके खेत का नाप होना था , परेशान है बेचारा कई दिनों से आ रहा हैं.................तुम एक करो बताओ कब तक आओगे..........…….......... ठीक ठीक है कुछ बात नहीं आ जाओ अच्छे आराम से..…...........….............. हां हां क्यों नहीं खर्चा पानी मिल जायेगा....... ठीक है }


प्रधान जी – देख तोरे सामने बात हो गई लेखपाल से लेखपाल कह रव 8 या 10 दिन में आए गांव । अबे उके घरे ब्याव है । जीसे वो अबे व्यस्त हैं आ नी पा रव ।

( लाखन हर बात पर हां में हां में हां भरता हुआ )


प्रधान जी – वो जब भी आए हम तोरे घरे कुआ पहुचावादे । जैसे ही कुआ पहुचवाए तू अपनो खेत नपवा लिए ।


( प्रधान जी धीमे स्वर में कहते हुए , वो जो कछु मांगे हजार या पांच सौ दे दिए )


प्रधान जी – अब बता कोई दिक्कत ।

लाखन – आंहा प्रधान जी ।

प्रधान जी – तो फिर ठीक है अब एक काम कर अब ते जा ।

लाखन – हव ठीक है , 

( लाखन दवे हुए स्वर में कहता हुआ )

लाखन – प्रधान जी तनक पानी मिल जातों पी बे के लाने ।

प्रधान जी – अरे ते ऐसे मौका पे पानी मांग रव जब घरे कोई नईया ।

ते एक काम करिए बाहर नल लगो ऊपे पियत जईए ।

लाखन – हव हव प्रधान जी जात है हम कितेक दिनन में आउने ।

प्रधान जी – वो दस पंद्रह दिनान में आए में तोरे घरे कुआ पहुचवा दे ।

ते जा आराम से ।


( लाखन जाते हुए )


लाखन – 10 दिन बाद आए ।


प्रधान जी – हव बिल्कुल बिल्कुल दस दिन बाद आइए ।


(कहानी समाप्त)


इससे क्या शिक्षा मिलती हैं हमें कॉमेंट करके ज़रूर बताएं ।और हमारे प्रयासों को सफल जरूर बनाएं ।।


आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।



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