सन 1971 की जंग के और विजय दिवस के आज 50 वर्ष पूरे हुए :

विजय दिवस

1971 की जंग में भारतीय सेना अपना अदभुत पराक्रम और शौर्य दिखाते हुए पाकिस्तान के लिए करारी मात दी । मां भारती के उन शहीद वीर जवानों के लिए कोटि कोटि नमन ,व विजय दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏🙏 


सेना के अद्भुत शौर्य और पराक्रम ने यह साबित कर दिया कि हम दुनिया में किसी से कम नहीं है आज हमारे विजय दिवस के लिए 50 वर्ष पूरे होने को जा रहे हैं हमारी सेना ने बड़ी उपलब्धि हासिल की जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई । सन 1971 की जंग में हमारे देश के कई वीर जवान शहीद हुए मगर हमने समझौता नहीं किया और जंग को बरकरार रखा । 

1971 की जीतने पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया जिसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था वह बांग्लादेश कहलाने लगा । हमने इस युद्ध में करीब 4000 सैनिक खोए और करीब 10,000 से अधिक सैनिक घायल हुए । मां भारती ने ऐसे वीरों को जना है जो मां के दामन पर आज आने से पहले ही दुश्मन का अस्तित्व समाप्त कर देते हैं और यह सन 1971 की जंग ने साबित कर दिया । 16 दिसंबर 1971 के दिन पूर्वी पाकिस्तान 93000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया और हमारी भारतीय सेना की जीत हुई सिर्फ इतना ही नहीं पूर्वी पाकिस्तान आज़ाद भी हो गया ।

हमारा इतिहास हमारी सेनाओं के वीर गाथाओं से भरा हुआ है ।

आजादी से लेकर अब तक हमारे वीर जवानों के कई किस्से मशहूर हैं जिन्हें अक्सर हमारे देश की मां अपने बेटों के लिए सुनाते हैं और हंस कर उन्हें भारत मां की रक्षा के लिए सीमा पर भेजती हैं । हमारी सेना में ऐसे ऐसे वीर जबान सैनिक हुए जिनके हुए जिनके किस्से सुनाते वक्त मां अपने बेटों पर गर्व महसूस करती हूं । एक किस्सा मेजर जनरल का बहुत महसूर हैं उन्होंने अपने चोटिल पाव के अपने ही हाथों काट कर अलग कर दिया था । हमारी देश की मांओं ने ऐसे ही वीर सपूतों को जन्म दिया है । जो हर हाल में सिर्फ़ जीतना ही चाहते हैं । 

पाकिस्तानी सेना हमनें कोई जंग मोल नहीं ली नहीं थी उन्होंने ही आगे रहकर हमारी सेना को उकसाया और नतीजतन उन्हें मुकी खाकर गिरना पड़ा । हमने हमेशा से हर किसी के प्यार और मुहब्बत का पैगाम दिया यहीं हमारी संस्कृति भी रही है । मगर किसी ने जब सामने से हमें ललकारा तब तब हमनें घर में घुसकर मारा । 

1971 की जंग की पूर्वी पाकिस्तान के आंतरिक मसलों को लेकर शुरू हुई थी । जिससे हमारा कोई लेन देन नहीं था । पूर्वी पाकिस्तानी सेना ने अपने नागरिकों पर अत्याचार किए और उन्हें बेकसूर होते हुए भी मौत के घाट उतारा । जिससे कई नागरिक हमारे देश में पनाह लेने लगे । शायद यह बात पूर्वी पाकिस्तान को नागवार गुजरी कि भारत हमारे नागरिकों को शरण क्यों दे रहा हैं । जबकि उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि हमारी संस्कृति ने हमें अतिथि देवो भव का पाठ सिखाया है । और इतिहास हैं जब जब जिस किसी को किसी ने ठुकराया उन्हें भारत में ने शरण दी हैं । मगर इस बात से गुस्साई पाकिस्तानी वायु सेना ने भारत के पूर्वी छोर पर हमला शुरू कर दिया । इस बात से नाराज होकर हमारी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तानी सैनिकों को मुंह तोड़ जबाव देने के लिए कहा । 

हमारी सेना ने अपनी ताकत से पाकिस्तानी सैनिकों के 13 दिन में छक्के छुड़ा दिए । जहा एक तरफ पाकिस्तान की मदद करने अमेरिका आगे वहीं भारत का सदाबहार मित्र माने जाने वाले देश रूस भारत की मदद के लिए आगे आया । 

लेकिन इससे पहले युद्ध की स्तिथि भयाभय होती पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के समक्ष अपने हतियार डाल दिए और आत्म समर्पण कर दिया । यह दिन 16 दिसंबर का दिन था , तभी से लेकर आज तक और सदियों तक हम इसे विजय दिवस के रूप में मनाएंगे । इस युद्व की समाप्ति के बाद पूर्वी पाकिस्तान आज़ाद हो गया , और नए देश के रूप में उभर कर सामने आया । जिसे हम आज बांग्लादेश के नाम से जानते हैं । 


1971 की जंग में शहीद हुए सभी वीर जवानों के लिए शत शत नमन करते हैं । और विजय दिवस के हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं ।


जय हिन्द जय भारत 🙏🙏
 

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