बाली का रामायण में बहुत ही अहम किरदार था , यूं समझ लीजिए यदि रामायण का सबसे शक्तिशाली कोई चरित्र था तो वह था बाली का । जिसे हराना शायद किसी के वश में नहीं था । उसके मन की शक्ति इतनी द्रढ़ थी की वह अपने मन की शक्ति से किसी भी व्यक्ति दानव या देव को परास्त कर सकता था । मगर वो हार जाता हैं ।
क्यों....?
एक बात हम सभी जानते हैं कि अपने ही हमारे अस्तिव का कारण होते हैं क्योंकि उनसे बेहतर हमें कोई नहीं जान सकता । और जब अपने ही दगा बाज निकले तो दुनियां की कोई ताकत नहीं जो हमें जीता दें ।
कुछ ऐसा ही बाली के साथ होता हैं , ये सिर्फ बाली के साथ ही नहीं उसी रामायण में बहु चर्चित किरदार रावण भी होता हैं , जिसे समस्त तीनों लोकों की शक्तियों प्राप्त होती हैं , जिसे हराने के लिए देवी देवताओं के मन में सवाल भी नहीं उठता था । इतने में ही आप समझ सकते हैं कि ये दो व्यक्ति कितने शक्तिशाली थे मगर दोनों ही परास्त हो जाते हैं ।
कुछ ऐसा ही मंजर आज कल हम देख रहे हैं , हम कितने ही शक्तिशाली क्यों न हो मगर जब कोई अपना ही अपनी जड़े खोदने का कार्य करता हैं तो हम हार जाते हैं । ये रीत सदियों से चली आ रही हैं , आज के लिए कोई नई बात तो है नहीं ।
हमारे जीवन में ऐसा कौनसा पड़ाव है जहां हमने किसी अपने की कमी महसूस नहीं की , कि हैं । क्योंकि जब कोई हमारे साथ खड़ा होता हैं तो हमें कठिन से कठिन कार्य भी आसान लगने लगता हैं ।
कभी कभी हम ऐसे कार्यों में लिप्त हो जाते हैं जहां हमें अच्छे बुरे की पहचान करना मुश्किल हो जाता हैं । और हम वो कार्य बड़े ही चाव के साथ करते रहते हैं । जब कोई हमें हमारे किए हुए गलत कार्य से चेताता हैं तो हमें वह शत्रु की तरह प्रतीत होता हैं । कार्य के प्रति हमारी लगन अच्छे बुरे में भेद कराना भुला देती हैं । इसी के चलते हमारे अपने दूर होने लगते ।
और यही अपने हमसे दूर जाकर हमारी बर्बादी का कारण बनते हैं ।
लेख ~ विनय कुमार झा
0 Comments