![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiAlt6NjPL9xv42uW0qGCZtCWJBxDWSQMAAfFXmpmRrA5GS4fSQPBlpzc01Wd14RuWAVMKwprOlaXO2TH37Dkg5XrfewPvUFYZR884ndHAq7TZ08HzidTmP-I7DO_TlJ0kKYViK2mYH_1QL6-S2kv_ZcCLx2oFja_bNuX2n__LSE7IRx2FnPYAA5GPV/s320/20220918_101006.jpg)
भारत सरकार ने 1992 में सिंह परियोजना को मंजूरी दी थी ।
विलुप्त हो रही बब्बर शेरों की प्रजातियों को गुजरात के गिर अभ्यारण से लाकर मध्यप्रदेश के कुनो अभ्यारण में स्थांतरित किया जाते ताकि उन्हें किसी भी महामारी से बचाया जा सकें और पर्यटन के लिए भी बढ़ावा मिल सकें क्योंकि दिल्ली से कुनो अभ्यारण नजदीक है । इसलिए कुनो अभ्यारण से 24 सहरिया आदिवासी परिवारों को विस्थापित किया था ।
लेकिन गुजरात तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने शेर देने से मना कर दिया । जबकि वैज्ञानिकों ने माना था कि कुनो अभ्यारण शेर के रहवास के लिए उचित जगह है ।
बात 2013 की है जब कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की मदद से गुजरात सरकार पर शेर देने का दवाब बनाया सुप्रीम कोर्ट ने छः माह में शेर देने की बात कही , मगर गुजरात सरकार ने किसी तरह यह योजना कमियां निकाल कर टाल दी । बल्कि ये कहा कि शेर गुजरात की शान है वो किसी अन्य राज्य में क्यों जाए ।
हालांकि अब शेर की जगह चीता लाए गए है , तो कुनो अभ्यारण में जमीनी विवाद से जुड़ा मामला सामने आ गया , बता दें कि पालघर के राजघराने ने लगभग 260 बीघा जमीन शेरों के रहने के लिए दी ताकि उनके रहने से जमीन और जंगल बचा रहें ( शेर परियोजना के लिए ज़मीन अधिग्रहण अधिसूचना 1981 में जारी हुई थी ) जानकारी के लिए बता दूं कि चीतों को रफ्तार का बादशाह कहा जाता हैं उन्हें दौड़ने के लिए पर्याप्त जगह की आवश्यकता होती हैं इसलिए अब जंगल से पेड़ो को काटकर कुछ हद तक मैदान किया जा रहा हैं ।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjqp6LlvnWue5ZMI9P44nCiWREuEYAw2jpID_qQReQ55Oot_lyhfTVDrZ-x68feJ_Pf9gx1fxHGJU_zq16VLbpir13cz0zP8ugnqMViftmU67QdxBz4WBxoAKRAPBh_jLd9fcT6qm4PkuLA8VDygiCSKotDJfOaWep6OtMq2-2_bmg9J0OV19kcB4HS/s320/20220918_101004.jpg)
चीतों के भोजन पर विशेष
लेख
.......
चीते आ गए हैं , बल्कि उन्हें भूखे पेट लाया गया ताकि रास्ते (8000km) में उन्हें मितली ना आए ऐसा विशेषज्ञों का कहना है ।
चीते शाकाहारी नहीं होते हैं वो घास पूस नहीं खाते हैं उन्हें भोजन में सबसे पसंदीदा भोजन चीतल या हिरण लगता हैं ।
देश में चीतों की संख्या बढ़ाने के लिए एवम् उनके भोजन के लिए लगभग 500 चीतल का लक्ष्य रखा है जो इन आठ चीतों का भोजन बनेंगे । अभी लगभग 180 चीलत छोड़े जा चुके हैं। ( मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक )
चीता हफ़्ते में एक बार शिकार करता हैं एक ही बार में अपना पूरा शिकार खत्म करता हैं , अपने शिकार को छिपकर या ताक लगाकर देखता है फिर अचानक हमला करता हैं और मात्र बीस सेकेंड के अंदर ही चीतल को अपना शिकार बना लेता हैं , एक ही बार में हमले के दौरान गर्दन तोड़ देता हैं फिर शौक से चीतल का मांस खाता हैं । चीता इतना शक्तिशाली होता हैं कि कोई अन्य जानवर उसके शिकार में उलझन पैदा नहीं कर सकता ।
फ़ोटो – मीडिया और सोशल मीडिया
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjknz3NXfBY04Vrrk6Sw_3yCE3wI13tuqw_JdGWC2jHqZKfeAcEKHeL1-FW7t5mh_Njdi5hleMgTJa0oDxeIqz6EWA_tvH66XFQBz8_SDpfWgVytrxwxFP02rU-jPkdMRxk7ZR-IAX201dOAd5n_3WBvuy4BxJCEpuL84E9CMCBgmvMuIvZrmTCdU3Y/s320/20220918_092656.jpg)
एक स्थानीय कहावत मशहूर हैं जो आदिवासी चीतों को कुत्तों की तरह पट्टा डालकर अपने पास रखते थे उन्हें ही चीतों से दूर कर दिया ।
लेख – विनय कुमार झा ( सोर्स मीडिया एवम सोशल मीडिया )
0 Comments