सरकार और उनके वादें



किसी भी केंद्र सरकार ने शिक्षा पर गहराई से ध्यान नहीं दिया। क्योंकि वो जानते हैं कि यदि देश में साक्षरता दर अधिक होगी तब हमारे भ्रष्ट मंत्रियों और अधिकारियों के सभी रहस्य खुल जायेंगे। सरकार गिर जायेगी। लोग जब शिक्षित होंगे तब वो सही व्यक्ति का चुनाव करेंगे।।
अभी तक जितनी भी सरकारें आई वो आम आदमी की कमज़ोरी को अपना चुनावी मुद्दा बनाकर मैदान में उतरते हैं। अभी हाल ही में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वो 2024 के लोकसभा चुनावों में बेरोजगारी और मंहगाई को मुद्दा बनाएगी।।
आज़ादी के बाद से जितनी भी लोकतांत्रिक सरकारें चुनी गई हैं उन्होंने अपने किए वादों पर एक तिहाई ही कार्य किया है। 
मान लें...कोई भी सरकार पांच साल के केंद्र में आती हैं और चहुं ओर विकास करती हैं,अपने किए हुए वादों पर खरी उतरती हैं। मगर वो सरकार अगले पंचवर्षी में अपनी सरकार नहीं बना पाएगी। जानते हैं क्यों... क्योंकि देश अधिकतर गांवों में बसता हैं और गांव की अधिकतम जनसंख्या अशिक्षित हैं। इसी भोली जनता का ब्रेन वाश किया जाता हैं। ताकि वो अच्छाइयों को ना देख सकें। 

वर्तमान सरकार महंगाई और बेरोजगारी पर बात नहीं करना चाहती, उनका वश चले तो बात करने वालों पर रासुका लगा दें। आम आदमी परेशान हैं, किसान की फसलों के दाम बढ़ाने के बजाय घटा दिए गए। GST पेड व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों के हक़ को मारा जा रहा हैं। सरकार को GST में बड़ोतरी करना है मगर किसान GST भरता नहीं हैं। 
निष्कर्ष यह निकलता हैं जहां सरकार का फायदा होता हैं सरकार वहीं निवेश करती हैं। विकास के नाम पर उठाया गया हर कदम वोट बैंक पर मद्दे नजर रखते हुए उठाया गया है। 

लोकतंत्र में जनता को अभिव्यक्ति की आज़ादी प्राप्त हैं, मगर यहां विरोध प्रदर्शन करने वालों   को सरकार के विरुद्ध बोलने वालों को रास्ते से ही हटा दिया जाता हैं। 
अभी हाल ही में संसद में विपक्ष की आवाज़ दबाने के लिए माइक म्यूट कर दिया है। स्पीकर महोदय देखते ही रह गए। 

अंत में यही कहा जा सकता हैं कि तानाशाही और दमनकारी नीतियों का राज चल रहा हैं। आप किसी भी माध्यम से आवाज़ उठाएंगे दबा दी जाएगी। आने वाला कल आपका हैं, हिम्मत मत हारिए.... इंकलाब लाना हैं तो मिटना ही पड़ेगा ।।


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