वीर चंदशेखर आज़ाद और हम

© Jagran Josh 

 “मनुष्य का खून बहाने के लिए हमें दुख है, परंतु क्रांति की सफलता के लिए रक्त बहाना जरूरी हो जाता है, हमारा उद्देश्य एक ऐसी क्रांति से है जो मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण का अंत कर दें” 

चंद्रशेखर आजाद के यह शब्द हम कभी नहीं भूल सकते। उनके विचारों के सपने साकार तो हुए लेकिन हम उनके जीवन से प्रेरणा कहां ले पाए। 

ऐसे क्रांतिकारी की क्या चाह थी? उनकी क्या शिक्षा थी? उन्होंने देश की आजादी के लिए प्राण बलिदान कर दिए।

मगर इसे हम साधारण रूप से ही कह देते हैं “महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद”

बस इतनी सी बात कह कर हम अपना काम चलाते हैं, पर हम में से किसी ने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि चंद्रशेखर आजाद का जीवन क्या था? उन्होंने अपनी जान की बाजी किस लिए लगाई थी? 

23 जुलाई सन 1906 को उनका जन्म होता है, और 27 फरवरी 1931 को वे स्वयं को गोली मारकर शहीद हो जाते हैं। मात्र 25 वर्ष का जीवन उन्हें भारतीय इतिहास में अमर कर गया। 


आखिर ऐसा क्या हुआ.... कभी सोचा है?


मैं बताता हूं आजादी मिलने के पश्चात हम उस राह को भूलते जा रहे हैं, जो राह हमें आजादी के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले वीरों ने दिखाई थी, कितने दुख की बात है। 

पता है ऐसा क्यों होता है या क्यों हो रहा है?

आजकल के युवक युवतियों को फिल्मी हीरो हीरोइनों के नाम तो याद होंगे, उनके संपूर्ण जीवन चरित्र की जानकारी होगी। यहां तक कि उनके चित्र अपने घरों की बेशकीमती दीवारों पर भी चिपके होंगे।  

मगर वह एक शख्स जिसने ना घर परिवार की ना अपने जीवन की परवाह की, वह देश को अपना सर्वस्व निछावर कर गया। बच्चे आज उसका नाम तक भूल गए होंगे। यह दोष हमारे समाज और सरकार का है, क्योंकि जब किसी वीर महापुरुष का जन्मदिन आता है या शहीद दिवस आता है, उस दिन खास छुट्टी का होता है, ना कि वह पूरा दिन सिर्फ उसी महापुरुष की जीवन वीरगाथा दोहराई जाए। खैर इसके साथ-साथ उन बुद्धिजीवियों और प्रकाशकों/पत्रकारों का भी है, जो इस पर ना के बराबर भी ध्यान नहीं देते हैं।आज के युग की खास बात तो यह है कि इंसान के जीवन की खास वजह या मकसद सिर्फ पैसा बन गया हैं। वह पैसा कमाने के लिए हर अच्छे बुरे काम को अंजाम देता है। क्योंकि उस मनुष्य को धन के अलावा किसी अन्य वस्तु से लगाव नहीं रही है। मनुष्य इसी मार्ग को अपना प्रगति का मार्ग समझ बैठा है, जबकि वास्तव में यह देश के लिए पतन का मार्ग है। यदि आपने अपने देश को ऊपर उठाना चाहा है, यदि देश की वास्तविक तरक्की देखनी चाही हैं तो सबसे पहले उन महापुरुषों की कुर्बानी को याद करो, उनके त्याग और बलिदान से प्रेरणा लो। क्योंकि आज का यह स्वतंत्र भारत सिर्फ उन्हीं महापुरुषों का सपना है। अगर आप उनके बताए मार्ग पर चलते हैं तो आपको और आपके देश को वह सब कुछ प्राप्त हो जाएगा जिसकी आपको और देश को जरूरत है।


जय हिन्द 


Write - unknown

Translate - Vinay Kumar Jha 

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