मैं तेरा आशिक़ तेरा बेटा हूं हां मैं वादी हूं।


 

तुमसे मेरा दिल सा लग गया है।

तुमसे दूर जाना

जैसे कुछ टूट रहा है।

वादियों में गिरती बर्फ

मुझे तेरी ओर खींचती है।

ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों

ऊंचे टेढ़े-मेढ़े रास्ते

वो वल खाकर चलती गाड़ियाँ

सब कुछ मानो स्वप्न सा हो

कल कल करता पानी

गिरता जब तेरी गोद में

ये वादी तू समेट लेती है उसे

भर लेती अपनी बाहों में।

मगर जब मैं गुजरता हूँ

इन आसमान छूते पहाड़ों से

टेढ़े-मेढ़े रास्तों से

कंप जाता हूँ, मैं डर जाता हूँ

माँ का सा प्यार देती ये वादी

मुझे भी समेट लेती 

अपने आँचल में।

जब कभी कोई

सर्द हवा का झोंका

मुझे छूकर गुजरता है।

ढक लेती है, वादी मुझे

अपने आँचल के गर्म साये में

मुझे मोहब्बत हो गई है

वादी तुझसे...!

कैसे कह दूं मैं

तुझ से कि मैं कौन हूं

मैं तेरा आशिक़ तेरा बेटा हूं

हां मैं वादी हूं। 

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