Madhya Pradesh : इंदौर के गौरी नगर इलाके में स्वच्छता के नाम पर दिलासा परोशी जाती हैं।

 इंदौर, जो स्वच्छता अभियान में सातवें आसमान को छूने वाला है। अब तक लगातार छः बार स्वच्छता में डबल हैट्रिक यानि सिक्सर लगा चुका हैं। मगर इंदौर में स्वच्छता के नाम पर कुछ ऐसी भी चीज़े हैं इन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। जो जबरजस्ती सफ़ाई के नाम पर थोपी जा रही हैं। इंदौर की मुख्य सड़कों को यदि छोड़ दिया जाए तो छोटी छोटी गली एवम् मोहल्लों में कचड़े की खूब भरमार है।



मैं आज इंदौर के गौरी नगर इलाके में गया जहां कालका मंदिर के पास प्रतिदिन बाज़ार भरता हैं। हज़ारों की संख्या में यहां खरीददार आते हैं। यहां एक किलो मीटर के दायरे में कहीं भी सुलभ शौचालय नहीं हैं। जब मैंने एक दुकानदार से बाथरूम के लिए पूछा कि यहां कहीं आसपास कोई बाथरूम हैं? तब दुकानदार ने कहा कि यहां आसपास कोई बाथरूम नहीं हैं। जब हमें बाथरूम जाना होता हैं तब हम ITI चौराहे पर जाते हैं। जिसकी दूरी महज एक किलो मीटर हैं।


आगे बताते हुए दुकानदार ने कहा कि बाथरूम ना जाना पड़े इसलिए हम पानी भी कम पीते हैं। तभी मेरी नज़र पास में ही रखे एक कचड़े के थैले पर पड़ी। जिसमें लगभग दो तीन दिन का कचड़ा इक्कठा किया हुआ था। मैंने पूछा कि आप कचड़ा क्यों नहीं फेंकते हैं? तब दुकानदार ने कहा कि कचड़ा गाड़ी दिन में सिर्फ़ एक बार आती हैं और वह भी सुबह आती हैं। तब तक मैं दुकान नहीं खोल पाता हूं इसलिए कचड़ा इक्कठा हो जाता हैं। इसके अलावा आसपास कहीं कोई कचड़ा घर भी नहीं हैं। जहां जाकर हम अपना कचड़ा फेंक सकें। फिर मैंने पूछा कि आप कचड़ा कैसे फैंकते हैं? तब उसने कहा कि अधिकांशतः कचड़ा के लिए हम घर ले जाते हैं, ताकि सुबह फेंक सकें। अन्यथा कहीं दूर कचड़े के ढेर पर डाल कर आते हैं। जहां कचड़ा भंडार किया जाता हैं।


ये वो छोटी छोटी बातें हैं जिन पर ज़िम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं। जो इंदौर को बाहर से खूबसूरत बनाते हैं और अंदर से खोखला करते हैं। यह सिर्फ़ एक नगर की घटना का वाक्या हैं। इस तरह इंदौर में ना जाने और कितने नगरों की अपनी अपनी दास्तां हैं।


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